26/11: 26 नवंबर 2008 भारत के लिए एक ऐसी तारीख है जिसे सुनते ही हर किसी के दिल में दहशत पनप उठती है. 26/11 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पाकिस्तान से आए लश्कर ए तौएबा के 10 आतंकियों ने तीन दिन तक मौत का खूनी खेल खेला था. इस आतंकी हमले में मुंबई का ताज महल पैलेस आतंकियों का सबसे बड़ा निशाना था. घटना के पहले कई लोग होटल में हॉलीडे का मजा ले रहे थे और इन्हीं में पूर्व एक्ट्रेस और शेफ अमृता रायचंद भी थीं. 


अमृता अपने पति के साथ बर्थडे सेलिब्रेशन के लिए ताज पैलेस गई हुई थीं. उस मनहूस दिन अमृता ने अपनी आंखों से वो भयंकर मंजर देखा था जो फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद हमारी रूह कांप जाती है. वाकई उस दिन को एक्ट्रेस कभी चाहकर भी भुला नहीं पाएंगी. अमृता ने एक इंटव्यू में इस मौत के खेल का ए्क एक मंजर बयां किया था. 




बर्थडे मनाने गई थी अमृता


अमृता के मुताबिक उस दिन उनका बर्थडे था. अमृता और उनके पति होटल में बर्थडे डिनर का प्लान बना रहे थे. फिर बेटे को घर पर छोड़कर दोनों शाम इंज्वॉय करने चले गए. वहां एक उनका फ्रेंड भी मौजूद था. ऐसे में अमृता अपने दोस्ते के रूम में जाकर ड्रिंक्स के लिए बैठे ही थे कि उन्हें आतिशबाजी की आवाजें सुनाई दीं. इसके बाद दोबारा गोलियों की आवाज आई, फिर खिड़की से जब एक्ट्रेस ने देखा उनके पैरों तले जमीन चली गई. हर तरफ लाशे बिछी थी. 


होटल के रिशेप्सनिस्ट ने उन्हें कमरे में ही रहने को कहा था. एक घंटे बाद एक धमाके ने पूरी इमारत हिलाकर रख दी. इसके बाद भगदड़ मच गई. हर तरफ से चीखें सुनाई पड़ने लगी. दनादन गोलियां चल रही थी. अमृता के मुताबिक उन लोगों ने लाइट्स बंद कर दिए थे. और फोन साइलेंट कर लिया था. पर ये सन्नाटा भी डारवना था. 




बेटे के लिए अमृता थी परेशान


अमृता ने उस काली रात को याद करते हुए बताया कि वो उस वक्त इतना डरी हुई थी कि अपने पति से पूछ रही थी, अगर उन्हें कुछ हो जाए तो उनके 1 साल के बेटे का क्या होगा.  अमृता ने बताया कि इसी के बाद दूसरा ब्लास्ट हुआ, जिसके बाद होटल का डोम आग में लिपटा हुआ था और वो धुएं से भर गए थे. फिर भी उनका दिमाग बस घर पर उनके बेटे को सोच रहा था. 


अमृता ने बताया कि उन्होंने अपनी जान कैसी बचाई थी. उनके मुताबिक धुआं अंदर ना आ पाए इसके लिए उन लोगों ने कमरे के दरवाजे में गिला टॉवल लगा  दिया था. उन्होंने खिड़की भी खोलने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पूरी रात डर में बीती और किसी तरह जब सुबह हुई तो भी वे धुएं में सांस ले रहे थे और उम्मीद खोते जा रहे थे. 


फायर ब्रिगेड उम्मीद की किरण बनकर आया


अमृता ने बताया कि इसके बाद उन्हें तब उम्मीद की किरण दिखी जब फायर ब्रिगेड की आवाज सुनी, उन्होंने लाइट चमकाई और ऊपर वाले की दया से उन्होंने एक्ट्रेस, उनके पति और दोस्त को देख लिया. फायर ब्रिगेड वालों ने खिड़की तोड़ी और अंदर आए. रस्सी से नीचे उतरने में करीब 1 घंटा लग गया था. वो बहुत दर्दनाक था पर सब बच गए थे. 


27 नवंबर को घर लौटने के बाद एक्ट्रेस अपने बेटे को लगे लगाकर खूब रोई. एक्ट्रेस अमृता मानती है कि वो ट्रॉमा आजकत उनके जहन में हैं, जो उन्हें डराती है. आतिशबाजी की आवाज भी उन्हें वो काली रात याद दिलाती है. 




हर साल ताज में मनाती हैं बर्थडे


अमृता के मुताबिक अब वो हर साल अपना जन्मदिन वही मनाती है. ये उन लोगों के लिए एक तरह से प्रेयर है जिन्होंने अपनों को खोया था. बता दें तेरह साल पहले पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई आतंकियों ने मुंबई को दहला दिया था. आतंकियों की मंशा तो भारत को घुटनों पर लाने की थी, लेकिन सुरक्षाबलों ने 3 दिन के अंदर पाकिस्तानी आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया. बस एक आतंकवादी था जो जिंदा रह गया था, नाम था अजमल कसाब. जिसे फांसी की सजा सुनाई गई थी.