उत्तराखंड में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है. रुझानों के मुताबिक, बीजेपी 47, कांग्रेस 19 और अन्य 4 सीटों पर आगे चल रही है. रुझान अगर नतीजों में बदलते हैं तो बीजेपी इस जीत के साथ ही उत्तराखंड की सत्ता पर लगातार दो बार काबिज होने वाली पहली पार्टी बन जाएगी. इससे पहले यहां की जनता ने किसी भी पार्टी की लगातार दो बार सरकार नहीं बनवाई है. राज्य में बीजेपी की इस एतिहासिक जीत के क्या कारण हैं आइए उसपर नजर डाल लेते हैं.


1- सही समय पर सीएम का बदलाव- विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को राज्य की सत्ता सौंपी. धामी को त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के बाद सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया. पुष्कर सिंह धामी पिछले 5 साल में बीजेपी के तीसरे मुख्यमंत्री रहे. धामी को पिछले दो मुख्यमंत्रियों के खराब प्रदर्शन की भरपाई के लिए चुना गया था. पार्टी के कई नेताओं ने खुले तौर पर स्वीकार किया था कि यदि पिछले दो मुख्यमंत्रियों में से किसी एक को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी गई होती, तो बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाती.


2- काम कर गया मोदी फैक्टर- बीजेपी को उम्मीद थी कि 2017 की तरह इस बार भी राज्य में मोदी फैक्टर काम करेगा. पार्टी का मानना है कि 2017 में उत्तराखंड की जीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही थी और इस बार भी वैसा ही रहा. पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट्स का कहना है कि पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बनाने से बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैक्टर ने इसे कुछ हद तक कम करने में कामयाब रहा.


बीजेपी नेताओं ने चुनाव प्रचार में लोगों से मोदी के नाम पर वोट मांगा. उनकी रैलियों में भाषण के आधे से ज्यादा हिस्से पीएम मोदी के नेतृत्व में राज्य में शुरू में किए विकास परियोजनाओं का जिक्र होता था. प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन ने कहा कि मोदी हमारे सबसे बड़ा ऑइकन हैं. ये एक ऐसा फैक्टर है जो बीजेपी के लिए हमेशा काम किया है. उन्होंने कहा कि वह पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने राज्य में इतने बार प्रदेश का दौरा किया.


3- डबल इंजन का नारा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के नेताओं उत्तराखंड की चुनावी रैलियों में डबल इंजन की सरकार का नारा खूब उठाया. पीएम मोदी ने अपनी कई रैलियों में कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए डबल इंजन की सरकार होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य का विकास डबल इंजन सरकार की प्राथमिकता में है और आगे भी रहेगा. चुनावी रैलियों में भीड़ को देखते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि राज्य की जनता ने मन बना लिया है कि वे डबल इंजन की सरकार चाहते हैं.


4- कमजोर विपक्ष- बीजेपी की जीत की एक बड़ी वजह विपक्ष का कमजोर होना भी रहा. कांग्रेस के पास पीएम मोदी के अनुभव और पुष्कर सिंह धामी के युवा जोश का मुकाबले करने के लिए कोई चेहरा नहीं था. बीजेपी जहां पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ी तो वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का एलान तक नहीं किया. चुनावों से पहले प्रदेश के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नाराजगी भी सामने आई थी. चुनावों से ठीक पहले पार्टी के अंदर की लड़ाई जनता के सामने आई, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ.


5- पीएम मोदी का अनुभव और पुष्कर सिंह धामी का युवा जोश- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीति में रहते हुए एक लंबा वक्त हो गया है. वह 12 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और 8 साल से प्रधानमंत्री के पद पर काबिज हैं. 2017 में उत्तराखंड में जब बीजेपी को विशाल जीत मिली थी तब भी पीएम मोदी का बड़ा रोल रहा था. बीजेपी ने उनके अनुभव का जमकर इस्तेमाल किया और देश की मौजूदा राजनीति में उनके जैसा स्टार प्रचारक किसी भी पार्टी में नहीं दिखता है. पीएम मोदी के अनुभव के अलावा पुष्कर सिंह धामी के युवा नेतृत्व का भी बीजेपी को फायदा मिला. पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल है. वह प्रदेश के स्टार युवा नेताओं में से एक हैं. बीजेपी को उनमें भविष्य दिखता है तब ही उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी.


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