UP Elections 2022: यूपी की सियासत में अगर हार-जीत, वोटिंग पैटर्न समझने बैठेंगे तो कहानी तीन शब्दों के ईर्द-गिर्द जरूर घूमेगी 'जाति-धर्म-क्षेत्र'. अब ये कहकर आप 'आधी आबादी' की ताकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते. आधी आबादी यानी महिलाएं यानी वो साइलेंट वोटर जिसकी ताकत को बिहार चुनाव में देश ने देखा था. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते नजर आए थे कि साइलेंट वोटर यानी महिलाएं ही बिहार में बीजेपी की जीत की वजह हैं.


आखिर ये आधी आबादी इतनी जरूरी क्यों है?


अब यूपी की राजनीति में आधी आबादी की ताकत को समझें तो कांग्रेस, बीजेपी, समाजवादी पार्टी समेत ज्यादातर पार्टियां इन्हीं अपनी-अपनी तरह से लुभाने में जुटी हैं. कैसे जुटी हैं? इसकी बात बाद में करेंगे. पहले ये समझते हैं कि आखिर ये आधी आबादी इतनी जरूरी क्यों है?


साल 2017 के इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों को देखें तो यूपी में कुल 14 करोड़ 16 लाख 63 हजार 646 वोटर थे. जिसमें से 7 करोड़ 70 लाख 42 हजार 607 पुरुष, 6 करोड़ 46 लाख 13 हजार 747 महिलाएं और 7292 अन्य कैटेगरी के वोटर थे.  कुल 8 करोड़ 67 लाख 55 हजार 499 ने वोट किया. यहां पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने बाजी मारी थी. महिलाओं का वोटिंग पर्सेंट 63 फीसदी तो पुरुषों का करीब 60 फीसदी के आसपास था. जाहिर है कि सूबे की महिलाएं अपने वोटिंग अधिकार को लेकर जागरूक हैं और पोलिंग बूथ पर जाकर किसी का भविष्य पलटने में हिचकिचाती नहीं हैं.




ये भी माना जाता है कि महिलाओं के मुद्दे पुरुषों से अलग होते हैं. हिंदू-मुस्लिम-कब्रिस्तान-अब्बाजान जैसे मुद्दे पुरुषों को तो लुभा सकते हैं या वोटिंग के लिए उत्साहित कर सकते हैं लेकिन महिलाओं के संदर्भ में मामला थोड़ा अलग होता है.


40 प्रतिशत महिलाओं को उम्मीदवार बनाने का वादा


उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सरकार और विपक्ष लगातार जनता को लुभाने और वोट बैंक बनाने में जुटी है. इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फ़ैसला किया है. कांग्रेस इस बार 403 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. वहीं प्रियंका गांधी ने लखनऊ में एक भाषण के दैरान वादा किया था कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी. 


हालांकि वर्तमान के हालात को देखकर तो यही लगता है कि महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने का वादा करने वाली कांग्रेस अब अपने इस वादे को लेकर बैकफुट पर है. इसकी सबसे बड़ी वजह पार्टी को महिला प्रत्याशी नहीं मिलना है. दरअसल कांग्रेस पार्टी को महिला आवेदक नहीं मिल रहे हैं.



बता दें कि कांग्रेस ने यूपी चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में 'महिला सशक्तिकरण अभियान' बहुत धूमधाम से शुरू किया था. कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा दिया है. उनके इस रणनीति को महिला वोट बनाने की रणनीति मानी जा रही है, लेकिन क्या महिला वोट बैंक वाकई कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगा? ये चुनाव नतीजे आने पर साफ होगा.


महिला वोटर सियासी तौर पर कितना अहम 


फिलहाल यूपी में महिलाओं का वोट एक निर्णायक भूमिका में है. यूपी में 7.79 करोड़ पुरुष और 6.61 करोड़ महिलाए हैं जो मतदान करती हैं. वहीं राज्य में 14.40 करोड़ वोटर हैं. अगर वोट देने वाली महिलाओं का प्रितशत देखें तो 45 फीसदी वोटर महिला हैं. अगर कांग्रेस महिलाओं के बीच विश्वास बनाने में कामयाब हो पाती है तो इसका पार्टी को फायदा मिलेगा.