UP Elections: उत्तर प्रदेश की सियासत इन दिनों पूरे उफान पर है. 10 मार्च को मालूम चल जाएगा कि सूबे में किसकी सरकार बनेगी. टिकट बंटवारे को लेकर कई पार्टियों में खलबली मची हुई है. टिकट न मिलने पर कई नेता आंसू बहा रहे हैं. वहीं कई ऐसे भी हैं जो सियासी हवा को बखूबी समझते हैं और बाप-बेटी और भाई-भाई होते हुए भी अलग-अलग पार्टियों में अपनी राजनीति चमका रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही नेताओं से वाकिफ कराएंगे, जिनका खून का रिश्ता है लेकिन पार्टियां अलग-अलग. 



  • स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य


यूं तो स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य का रिश्ता बाप बेटी का है. लेकिन अब दोनों की पार्टियां अलग हो चुकी हैं. कुछ दिन पहले स्वामी प्रसाद मौर्य योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर अखिलेश  यादव की साइकिल पर सवार हो गए. यूपी की राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले स्वामी 2007 तक मायावती के साथ थे. 2017 में उन्होंने कमल का दामन थामा था. उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य 2019 में लोकसभा का चुनाव बीजेपी से जीत चुकी हैं. इस चुनाव में जहां स्वामी प्रसाद सपा की ओर से हैं, वहीं बेटी बीजेपी के लिए अपील कर रही हैं.



  • पत्नी बीजेपी में और पति कांग्रेस में


अंगद सिंह पंजाब कांग्रेस से विधायक हैं और अदिति सिंह यूपी रायबरेली सदर सीट से विधायक हैं. पिछले साल उन्होंने बीजेपी का दाम थाम लिया था. दोनों का भले ही पति और पत्नी का रिश्ता हो लेकिन पंजाब और यूपी चुनाव के दौरान अब उन्हें घर से निकल कांग्रेस और बीजेपी के गुणगान गाने पड़ते हैं. 



  • सपा में बड़ा भाई, छोटा बसपा में


सहारनपुर की गलियों में जाएंगे तो आपको दो नाम सुनने को मिलेंगे इमरान मसूद और नोमान मसूद. दोनों जुड़वां हैं और 8 बार के सांसद काजी रशीद मसूद के भतीजे हैं. काजी कट्टर कांग्रेसी थे. इमरान कुछ वक्त पहले ही सपा में शामिल हुए हैं. जबकि नोमान बसपा की नाव में सवार हैं. दोनों अपनी-अपनी पार्टियों के लिए जीत के दावे कर रहे हैं.



  • बहन बीजेपी की नेता और भाई सपा में


मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे हैं धर्मेंद्र यादव और बेटी का नाम है संध्या. धर्मेंद्र यादव 3 बार के सांसद हैं जबकि संध्या यादव बीजेपी के लिए प्रचार कर रही हैं. 2017 में संध्या ने बीजेपी का दामन थामा था. उनके पति भी बीजेपी में है. अब संध्या के भाई सपा को जिताने की गुहार वोटरों के आगे लगाते हैं और बहन-जीजा सपा को हराने के. 



  • बेटा बसपा में, पिता सपा में


अंबेडकरनगर में पांडेय परिवार की बड़ी हैरियत है. बड़े व्यापारी हैं. राकेश पांडेय बसपा से 2009 में सांसद बने थे. मायावती के करीबी माने जाते हैं. दस साल बाद यानी 2019 में बेटे रितेश ने भी चुनाव लड़ने की ठानी. पिता के कहने पर बसपा से टिकट मिल गया. लेकिन 2022 के चुनाव से पहले राकेश पांडेय ने सपा की साइकिल पर बैठने का मन बना लिया. जबकि उनका बेटा रितेश बसपा नेता है. 



  • मां बेटी ने बना ली अलग पार्टी


यूपी की राजनीति में ये कहानी भी दिलचस्प है. मां और बेटी ने अपनी अलग-अलग पार्टियां बनाई हुई हैं. एक है अपना दल (कमेरावादी) और दूसरी है अपना दल (सोनेलाल). कमेरावादी की नेता हैं मां कृष्णा पटेल और सोनेलाल की नेता हैं बेटी अनुप्रिया पटेल. दोनों ने लड़कर अपना दल के दो टुकड़े कर दिए हैं.


सोनेलाल पटेल ने अपना दल का गठन किया था. उनके देहांत के बाद मां-बेटी के बीच पार्टी के वर्चस्व को लेकर रार छिड़ गई. कृष्णा पटेल ने पल्लवी पटेल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया. अनुप्रिया ने इसका विरोध किया तो कृष्णा पटेल ने उनको पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद अपना दल दो हिस्सों में बंट गया.  



  • अपर्णा यादव और डिंपल यादव


अपर्णा यादव और डिंपल यादव मुलायम सिंह यादव की बहू हैं. डिंपल यादव अखिलेश यादव की पत्नी हैं और अपर्णा यादव प्रतीक यादव की. अपर्णा और डिंपल रिश्ते में जेठानी और देवरानी हैं. लेकिन कुछ दिन पहले अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल हो गईं. जबकि डिंपल यादव समाजवादी पार्टी की नेता हैं. 


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