Tripura Elections Results 2023: तीन उत्तर-पूर्वी राज्यों के चुनाव नतीजे सामने आ रहे हैं, जिनमें त्रुपुरा और नगालैंड में बीजेपी को बढ़त मिलती नजर आ रही है. वहीं मेघालय में अकेले लड़ने वाली बीजेपी पांच के आंकड़े पर सिमटती दिख रही है. तीनों राज्यों में से सबसे ज्यादा नजरें त्रिपुरा पर टिकी हुई थी, क्योंकि पिछले पांच सालों में यहां काफी कुछ बदला है. पिछले चुनाव में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत मिल गया था, वहीं इस बार आंकड़ा कम नजर आ रहा है. बीजेपी को कई सीटों पर नुकसान होता दिख रहा है, जिसका बड़ा कारण प्रद्योत बिक्रम की पार्टी टिपरा मोथा को माना जा रहा है. 


त्रिपुरा के राजघराने से आने वाले प्रद्योत की पार्टी इस बार राज्य में 10 से ज्यादा सीटें जीतती हुई दिख रही है. बीजेपी गठबंधन को मिलने वाली सीटों का अंतर भी पिछले साल के मुकाबले इतना ही है. यानी बीजेपी गठबंधन को होने वाले नुकसान का कारण कहीं न कहीं टिपरा मोथा ही है. 


पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को नुकसान
अब पिछले चुनाव के आंकड़े की बात करें तो बीजेपी ने आईपीएफटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन को कुल 44 सीटें मिली थीं और बीजेपी ने सरकार बनाई थी. इसमें अकेले बीजेपी ने 36 सीटों पर चुनाव जीता था. यानी बहुमत का आंकड़ा अकेले पार कर लिया था. हालांकि इस बार बीजेपी गठबंधन का ये आंकड़ा सिमटकर बहुमत के आसपास रह सकता है. 


इस बार क्या बदले समीकरण?
इस बार भी बीजेपी ने अपने सहयोगी दल आईपीएफटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. पार्टी को उम्मीद थी कि पिछली बार की तरह गठबंधन को भारी बहुमत मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका सबसे बड़ा कारण टिपरा मोथा की एंट्री है, जिसके बारे में हमने आपको बताया. हालांकि एक दूसरा बड़ा कारण कांग्रेस और लेफ्ट का एक साथ आना भी है. लेफ्ट गठबंधन को त्रिपुरा में फिलहाल करीब 16 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी सीटों का फायदा तो नहीं हुआ, लेकिन नुकसान भी ज्यादा नहीं हुआ है.  पिछली बार लेफ्ट को 16 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था. टीएमसी भी इस बार पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी थी. 


टिपरा मोथा की जोरदार एंट्री
राजघराने से आने वाले प्रद्योत देबबर्मा की नई पार्टी टिपरा मोथा की इस बार खूब चर्चा थी, शुरू से ही कहा जा रहा था कि इस बार टिपरा मोथा त्रिपुरा में किंगमेकर साबित हो सकती है. प्रद्योत ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें 20 सीटें वो हैं, जो आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं, वहीं 22 ऐसी सीटें भी हैं जहां आदिवासियों की संख्या ज्यादा है. बता दें कि पिछले चुनावों में आदिवासी सीटों पर बीजेपी को काफी फायदा मिला था, लेकिन राजघराने की एंट्री से पूरा खेल बदल गया. 


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