Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान विधानसभा चुनाव में जयपुर की विद्याधर नगर सीट सबसे चर्चित सीटों में से एक है. चर्चा की वजह यहां से बीजेपी की प्रत्याशी सांसद दीया कुमारी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जिन सांसदों को राजस्थान में उतारा है, उनमें दीया कुमारी भी शामिल हैं. इसके अलावा इनका नाम बीजेपी से सीएम पद के दावेदारों में भी है. दीया कुमारी को वसुंधरा राजे का विकल्प भी कहा जा रहा है.
दीया कुमारी भी इस चुनाव को लेकर पूरे जी-जान से जुटी हैं. वह सुबह से शाम तक लोगों से मिल रही हैं. छोटी-छोटी सभाओं के जरिये क्षेत्र में वोटरों तक अपनी बात पहुंचा रही हैं. इस सीट पर बीजेपी तीन बार से चुनाव जीत रही है, ऐसे में इस बार भी बीजेपी का पक्ष ज्यादा मजबूत है, लेकिन पार्टी में मची अंदरूनी कलह और कुछ अन्य वजहों से दीया कुमारी के लिए राह इतनी आसान भी नहीं होगी. आइए जानते हैं इस सीट का समीकरण.
बीजेपी का इसलिए मजबूत है दावा
यह सीट बीजेपी के लिए ए कैटेगरी में आती है. दरअसल, बीजेपी ने टिकट देने के लिए सीटों का बंटवारा चार (ए,बी,सी ओर डी) कैटेगरी में कर रखा है. ए कैटेगरी में वो सीट आती है, जहां पार्टी लगातार तीन बार जीत चुकी है. ऐसे में यह सीट पार्टी के लिए ए कैटेगरी की है.
अब तक किसके पास थी यह सीट
2008 में परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर पूर्व उप-राष्ट्रपति भैरोसिंह सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी लगातार तीन जीत दर्ज कर चुके हैं. इस बार पार्टी ने उन्हें किसी और सीट पर भेजकर यह सीट दीया कुमारी को दी है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में नरपत सिंह राजवी को 95 हजार 599 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 64 हजार 367 वोट मिले थे.
क्या है जातीय गणित और वोटरों की संख्या
इस सीट पर जाती का फैक्टर काफी मायने रखता है, लेकिन यह भी बीजेपी के पक्ष में ही जाता दिख रहा है. विद्याधर नगर सीट पर सबसे अधिक 75 हजार राजपूत वोटर हैं. इसके बाद 70 हजार ब्राह्मण वोटरों का नंबर आता है. तीसरे नंबर पर वैश्य वोटर हैं, जिनकी संख्या करीब 50 हजार है. बीजेपी को अब तक इन तीनों वर्गों का वोट मिलता रहा है. यही वजह है कि वह इतने बड़े अंतर से जीतती रही है. इस बार भी पार्टी जीत को लेकर आश्वस्त है. पार्टी उम्मीदवार दीया कुमारी कहती हैं, “हमारे कार्यकर्ता इतने मजबूत हैं कि हमको मेहनत करने की जरूरत नहीं है.”
दीया कुमारी के लिए ये हो सकती हैं चुनौतियां
बेशक इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी माना जा रहा है और सब कुछ उसके फेवर में जाता दिख रहा है, लेकिन दीया कुमारी को इस बार कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है.
- नरपत सिंह राजवी को यहां से हटाने का फैसला नुकसान भी पहुंचा सकता है. दरअसल, उनके समर्थक उन्हें यहां से उम्मीदवार न बनाने से नाराज हैं. चर्चा है कि खुद नरपत सिंह भी इससे खुश नहीं हैं. ऐसे में अगर नरपत सिंह के समर्थक पार्टी से दूरी बनाते हैं तो यह दीया कुमारी को नुकसान पहुंचा सकता है.
- वसुंधरा फैक्टर की वजह से विरोध भी नुकसान पहुंचा सकता है. दीया कुमारी का नाम लगातार वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में सामने आ रहा है. उन्हें भविष्य का सीएम भी बताया जा रहा है, जबकि पार्टी ने इस बार वसुंधरा राजे को साइडलाइन ही कर रखा है, ऐसे में वसुंधरा राजे के समर्थक लगातार विरोध कर रहे हैं. वह इस वजह से दीया कुमारी से भी नाराज बताए जा रहे हैं. अगर वसुंधरा के सपोर्टर पार्टी से दूरी बनाते हैं तो वह नुकसान पहुंचा सकता है.
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