Loksabha Election 2024: अक्सर सुर्खियों में रहने वाली और हाल ही में पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया था. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं महुआ मोइत्रा जोकि खुद अपनी कैंपेन मैनेजर हैं. वहीं, एक गाँव से दूसरे गाँव जाते हुए, महुआ लोगों से बस यही कह रही हैं कि "मुझे आशीर्वाद दो". News 18 से बातचीत में शनिवार को टीएमसी कैंडिडेट महुआ मोइत्रा ने अपनी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार अमृता रॉय का चुनाव में कोई फैक्टर नहीं है.


उन्होंने कहा कि जब मैंने पहली बार एमएलए का चुनाव लड़ा, तो उससे पहले मैं संगठन में थी, जहां मैं दूसरों के चुनाव को संभालती थी. इससे मुझे काफी मदद मिली. उन्होंने कहा चुनाव प्रबंधन एक ऐसी चीज़ है जो मैंने दूसरों के चुनाव के मैनेजमेंट करते समय सीखी. जैसे कि साल 2011 का विधानसभा चुनाव, 2013 पंचायत चुनाव, 2014 का लोकसभा चुनाव. मेरा मानना ​​है कि हर चीज एक प्रक्रिया में होनी चाहिए और वह अच्छे से काम करेगी.  


क्या महुआ हो सकती थी कॉरपोरेट टाइकून?


जब उनसे पूछा गया कि आप एक कॉर्पोरेट टाइकून हो सकती थी. इस पर उन्होंने कहा कि, बिल्कुल नहीं. मेरे पास यहां आने का एक खास कारण है. यह मेरा जुनून है. हम एक फासीवादी शासन, एक बहुसंख्यकवादी ताकत से लड़ रहे हैं, जो भारत पर तेजी से हावी हो रही है और उसे नष्ट कर रही है, इसलिए हम जैसे लोगों को न्यूयॉर्क में बैठकर कुर्सी की राजनीति करने के बजाय जमीन पर लड़ने की जरूरत है. हमें आना होगा और बदलाव लाना होगा.


क्या महुआ सख्त है?


इस पर महुआ ने कहा कि जब जरूरत होती है तब नाराज हो जाती हूं. मैंने किसी को भी पुरुष राजनेताओं से ऐसे सवाल पूछते नहीं देखा. मैंने बुरे व्यवहार वाले पुरुष राजनेताओं को देखा है, लेकिन उन्हें ऐसे सवालों का सामना नहीं करना पड़ता हैं.  बंगाल में चीजें अलग हैं, यहां कोई भी आपको अलग नज़र से नहीं देखेगा, वे मुझे एक राजनेता और अपने क्षेत्र का सांसद मानते हैं. वे यह नहीं देखते कि मैं पुरुष हूं या महिला. मैं सौभाग्यशाली हूं कि बंगाल एक अलग सोच वाली जगह है.


संदेशखाली को मीडिया ने किया प्रचारित- महुआ


संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार को लेकर महुआ ने जवाब दिया कि मुझे लगता है कि संदेशखाली जिसे मीडिया प्रचारित कर रही है. वहां सख्त कदम उठाए गए हैं. देखिये, बाकी किसी जगह कोई असर नहीं है. आप देख सकते हैं कि हम सीएम ने पूरी कोशिश की है. ममता बनर्जी ने हर ग्रामीण महिला को सशक्त बनाया है. हालांकि, ईडी और सीबीआई को लेकर पूछे गए सवाल पर महुआ ने कहा कि जांच एजेंसिया मेरे पीछे हो सकती हैं लेकिन मेरी जनता मेरे सामने है. उन्होंने कहा कि बेचारे अधिकारी काम कर रहे हैं. मेरे मन में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है. वे भी जानते हैं कि यह एक राजनीतिक मामला है.  


हर किसी को चुनाव लड़ने का है अधिकार- महुआ


आपका सामना राजपरिवार से है. इस पर महुआ ने कहा कि मेरे पास कहने के लिए कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. मुझे अपने प्रतिद्वंद्वी से कोई शिकायत नहीं है, हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. मैं उन्हें शुभकामनाएं देती हूं, लेकिन मैं जो कह सकती हूं वह यह है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. मैं बीजेपी से पूछना चाहती हूं, बांग्ला में एक कहावत है, 'कोन राजार मा?' मतलब वह किस राजा की माता है? मेरी लड़ाई भाजपा और उसकी विचारधारा, उसके प्रतीक के खिलाफ है, किसी उम्मीदवार के खिलाफ नहीं. मुझे यह एहसास नहीं था कि हिंदू धर्म ने कृष्णानगर के रॉय परिवार को एक पट्टा दिया है. उन्हें पहले जवाब देना चाहिए कि उन्होंने लोगों को धोखा क्यों दिया और सब कुछ रॉबर्ट क्लाइव को क्यों बेच दिया. उनका विश्वासघात का इतिहास रहा है. मेरे लिए इसका कोई मतलब नहीं है.


92 फीसदी मामले ED और CBI के विपक्ष के खिलाफ


भ्रष्टाचार पर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए महुआ ने कहा कि 82 से 92 फीसदी मामले ईडी और सीबीआई के विपक्ष के खिलाफ हैं. दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही वे बीजेपी में शामिल होते हैं, वे साफ हो जाते हैं. तो भ्रष्टाचार पर ये 'हौवा' कोई मायने नहीं रखता. बीजेपी की वॉशिंग मशीन है. कोई भी यही सोचेगा कि बीजेपी पूरी तरह से पवित्र और अच्छी है. जैसे ही कोई शामिल होता है, वे साफ़ हो जाते हैं. महुआ ने कहा कि वे 15 लाख रुपये का भुगतान क्यों नहीं कर रहे हैं जिसका उन्होंने वादा किया था? उन्होंने मनरेगा, आवास योजना और बंगाल को मिलने वाले अन्य पैसों का भुगतान क्यों नहीं किया? उन्हें पहले वह पैसा देना चाहिए.


सीएए पर BJP ने पैदा किया डर


CAA बीजेपी के लिए एक भयानक जाल है, इसने 2019 में CAA 'हवा' शुरू की, दहशत और भय पैदा किया. अगले पांच साल तक उन्होंने कुछ नहीं किया. अब उन्होंने इसे अधिसूचित कर दिया है. उस CAA फॉर्म में पहला सवाल है 'क्या आप भारतीय हैं?' मुझे बताओ, कौन लिखेगा कि वे नहीं हैं? फिर वे बांग्लादेशी दस्तावेज़ मांगते हैं. वे दस्तावेज कहां देंगे? इसका उल्टा असर होगा.


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