Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान शनिवार (16 मार्च, 2024) को कर दिया. इलेक्शन कमीशन के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 543 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे. 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, सात मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को होगा मतदान. चार जून को मतगणना होगी.
इन 543 सीटों पर होने वाले चुनाव में से वाराणसी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्रों में गिनी जाने वाली सीटों में से एक है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूदा सांसद हैं और इस सीट पर इलेक्शन सातवें चरण यानी 1 जून को होगा.
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में वाराणसी लोकसभा सीट एक अलग ही महत्व रखती है. इस सीट की अपनी एक अलग ही पहचान बन गई है. जिसमें 1991 से ही भारतीय जनता पार्टी ((BJP) काबिज है और इस बीच बस एक बार ही साल 2004 में कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल कर पाई थी. 2014 में भी जब बीजेपी ने सत्ता में वापसी की तो पार्टी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने इस सीट से जीत हासिल की थी तो चलिए जानते हैं कि इस लोकसभा सीट से जुड़ी रोचक बातें.
वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित 80 लोकसभा सीटों में से एक है. जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता रहा है. यह सीट पिछले कई दशकों से भारतीय राजनीति के केंद्र पर रही है और यहां से वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी सांसद है. वो लगातार दो बार साल 2014 और 2019 में इस सीट से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे है. वाराणसी संसदीय क्षेत्र 5 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनती है. जिसमें रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी शामिल है. इस कारण इस लोकसभा में हर वर्ग के लोग मौजूद है और इस सीट को एक अलग पहचान मिली है.
वाराणसी लोकसभा चुनाव में क्या कहता है 2019, 2014, 2009 चुनावो का लेखा-जोखा
वाराणसी लोकसभा चुनाव में इतिहास को दोहराते हुए साल 2019 में नरेंद्र मोदी ने 479,505 वोटों के अंतर से बहुत बड़ी जीत दर्ज की थी. पीएम नरेंद्र मोदी को 674,664 वोट मिले थे. जबकि उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी शालिनी यादव के पक्ष में बस 195,159 वोट ही पड़े थे. इस तरह साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को 371,784 वोटों के भारी अंतर से हराकर पटखनी दी थी.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बड़ी जीत हासिल की थी. उनको कुल 203,122 वोट मिले थे. वहीं उनके सामने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मुख्तार अंसारी को 185,911 मिले थे.
वाराणसी लोकसभा के मतदाताओं का हिसाब-किताब
वाराणसी संसदीय सीट पर कुल 1,854,540 मतदाता रजिस्टर है.
1957 से जुड़ा है वाराणसी संसदीय सीट का इतिहास
वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास कई दशकों पुराना है, जो साल 1957 से शुरू होता है. यह सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीटों में से एक है, जिसमें साल 1991 से लेकर अब तक अधिकतर चुनाव बीजेपी ही जीतती आ रही है. इस बीच में कांग्रेस ने सिर्फ एक बार साल 2004 में जीत दर्ज की थी. वाराणसी लोकसभा सीट को असल प्रसिद्धता तो तब मिली, जब साल 2014 में बीजेपी उमीदवार नरेंद्र मोदी इस सीट से चुनाव जीतकर देश के पीएम बने. उसके बाद पीएम मोदी ने साल 2019 के चुनाव में और ज्यादा बड़े अंतर से जीत हासिल करते हुए इस सीट को बीजेपी का एक अभेद किला बना दिया.
क्यों इतनी जरुरी है यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट
वाराणसी जिसे काशी, बनारस के नामों से भी जाना जाता है वो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. जिसके तार पौराणिक काल से भी जुड़े है और इसे हिन्दुओ के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर में हिन्दू बड़ी संख्या में है इसी के साथ वाराणसी के मुस्लिम कारीगरों का हुनर इस शहर को कला और पर्यटन का अनूठा संगम बनाता है.
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