Lok Sabha Election UP BJP: करण भूषण सिंह कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्‍मीदवार हैं. कैसरगंज वह सीट है जिस पर काफी लंबे समय से सस्‍पेंस जारी था. सूत्रों की मानें तो पार्टी करण को टिकट देने से हिचकिचा रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी हिचकिचाहट के बाद आखिर पार्टी ने अपना फैसला क्‍यों बदला? क्‍यों उसने ब्रजभूषण की जगह उनके बेटे को टिकट देने का फैसला कर लिया.


इसका जवाब है बीजेपी की वह रणनीति जिसके तहत उसने सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए गणित लगाए हैं. बताया जा रहा है कि इसी वजह से बीजेपी ने इस सीट पर किसे उम्‍मीदवार बनाया जाए, इस फैसले को लेने में इतनी देर लगाई. 


ब्रजभूषण का प्रभाव 
पहले दो चरणों के बाद पार्टी इंतजार कर रही थी. ऐसा कहा जा रहा है कि कैसरगंज के अलावा उसके आसपास के क्षेत्रों पर भी ब्रजभूषण का काफी प्रभाव है कई रिपोर्ट्स पर अगर यकीन करें तो ब्रजभूषण सिंह बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्‍ती, बहराइच, बाराबंकी और फैजाबाद तक अपना दबदबा रखते हैं.  उनकी तरफ से पार्टी पर भी टिकट का दबाव बनाया जा रहा था. ब्रजभूषण सिंह लगातार तीन बार कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे थे.


रिस्‍क लेने से बचती बीजेपी!  
उन्‍होंने साल 2009 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था. वहीं साल 2014 और 2019 में वह बीजेपी से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. हालांकि लोगों का  कहना है कि टिकट बेटे को मिले या पिता को एक ही बात है. विशेषज्ञों की मानें तो बीजेपी इस समय कोई रिस्‍क नहीं लेना चाहती है और इस वजह से ही उसने ब्रजभूषण के बेटे करण को टिकट देने का फैसला लिया है. सूत्रों के मुताबिक करण भूषण शरण सिंह आज (3 मई) को सुबह 11:00 बजे कैसरगंज लोकसभा सीट को लेकर नामांकन करेंगे. 


कौन हैं करण भूषण सिंह 
बृजभूषण सिंह दो बेटे प्रतीक भूषण सिंह और करण भूषण सिंह के पिता हैं. जहां प्रतीक गोंडा सदर सीट से दो बार के विधायक हैं तो वहीं करण इन चुनावों के साथ राजनीति में पारी की शुरुआत करेंगे. करण उत्तर प्रदेश भारतीय कुश्ती संघ की अध्यक्ष हैं. वह साल 2018 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के वरिष्‍ठ उपाध्यक्ष चुने गए थे. 13 दिसंबर 1990 को जन्‍में करण डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं. साथ ही उनके पास ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री भी है. 


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