Electoral Expenses In Loksabha Election: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से बयानबाजी शुरु हो गई है. विपक्षी नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कहना है कि मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार देश में समय से पूर्व चुनाव करवा सकती है. वहीं अब मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बिल पारित किया जा सकता है. इस बिल का मकसद हर साल होने वाले चुनाव और इसके खर्च में कम करना होगा. ऐसे में जब चर्चा चुनाव में होने वाले खर्च पर हो रही तो आइए जानते हैं 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर अब तक कैसे और कितना खर्च चुनाव में होता है. पीआईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव के बाद से यह खर्च 20 गुना तक बढ़ गया है. 


खर्च बढ़कर 20 गुणा तक पहुंच गया
देश में हुए पहले लोकसभा के चुनाव में कुल 10.45 करोड़ रुपये खर्च किए गए थें. जबकि 15वीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो इसमें 846.67 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस लिहाज से देखें तो पहले आम चुनाव के मुकाबले 2009 चुनाव में यह खर्च बढ़कर 20 गुणा तक पहुंच गया है. 


साल 1952 के लोकसभा चुनाव में सरकार को प्रति मतदाता पर 0.60 रुपये खर्च पड़ा था. जिसमें कुल 17 करोड़ से ऊपर मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया था. जबकि 2009 के आम चुनाव में हर मतदाताओं पर कुल 12 रुपये का खर्च किया गया. इस चुनाव में कुल वोटरों की संख्या करीब 72 करोड़ के पास था. 


2004 का लोकसभा चुनाव 
इस रिपोर्ट के आंकड़ों से यह पता चलता है कि 2004 का लोकसभा चुनाव काफी महंगा था. इस चुनाव में सरकारी खजाने पर अधिक लोड पड़ा था. इस चुनाव में कुल 1113.88 करोड़ रुपये का खर्च सरकारी खजाने पर पड़ा था. प्रति मतदाता पर हुए कुल 17 रुपये का खर्च के हिसाब से भी यह चुनाव महंगा है. जबकि इस चुनाव में 67 करोड़ के पास वोटर थें. 


ये खर्च हैरान करने वाले
इस आंकड़े में एक हैरान करने वाली बात यह है कि साल 1952 से 1989 तक के लोकसभा चुनाव में जितना खर्च हुआ, उतना कुल तो केवल 1991-92 के आम चुनाव में खर्च हुआ था. देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव से 1989 के चुनाव तक कुल 359.62 करोड़ का खर्च आया था. जबकि साल 1991-92 की 10वीं लोकसभा चुनाव में कुल 359.1 करोड़ खर्च हुआ था.


2024 और 2019 चुनाव ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
साल 2009 आम चुनाव में हुए करीब 900 करोड़ खर्च के मुकाबले 2014 के लोकसभा चुनाव में यह खर्च करीब 3870 करोड़ था. वहीं इस चुनाव में प्रति वोटर खर्च में भी करीब तीन गुणा अधिक बढ़ा. पीएम मोदी के फर्स्ट टर्म के चुनाव में प्रति मतदाता 46 रुपये खर्च सरकारी खजाने पर पड़ा था.


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