Lok Sabha Election 2024: विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए मशहूर पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान राजनीतिक पारी खेलने के लिए तैयार हैं. वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता अधिर रंजन चौधरी के खिलाफ सियासी पिच पर बल्लेबाजी करते नजर आएगें. उन्होंने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने रविवार (10 मार्च) को यूसुफ पठान को पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से चुनाव में उतारने का ऐलान किया. 

हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक बंगाल में अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन चौधरी को बहरामपुर सीट से फिर से मैदान में उतारने की उम्मीद है. बहरामपुर कांग्रेस का गढ़ है और वह 1999 से यहां लगातार जीत हासिल कर रही है.

2011 विश्वकप विजेपी टीम का हिस्सा थे यूसुफ1982 में गुजरता के बड़ौदा में एक गुजराती पठान परिवार में जन्मे पठान ने अपने छोटे भाई इरफान पठान के बाद 2007 में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ टी20 विश्व कप फाइनल में पदार्पण किया था. अपनी बड़ी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की बदौलत, पठान अगले चार साल तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे. वह 2011 विश्व कप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे.

2021 में रिटायर हुए पठानपठान ने केकेआर की टीम के लिए दो आईपीएल खिताब जीते. कुल मिलाकर उनके नाम तीन आईपीएल खिताब हैं. उन्होंने 2021 में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि क्रिकेट में दमखम दिखाने पठान राजनीति में कितने सफल हो पाएगें, लेकिन टीएमसी ने बहरामपुर सीट पर कांग्रेस की ग्रिप कमजोर करने के लिए उनकी लोकप्रियता को हथियार बनाया है.

बहरामपुर पर टीएमसी वोट शेयर बढ़ाबहरामपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय का वोट काफी महत्वपूर्ण है. बहरामपुर में कभी जीत न हासिल करने वाली टीएमसी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अधीर के वोट शेयर को 2014 के मुकाबले लगभग 5 फीसदी कम कर दिया था. 2014 में चौधरी को जहां 50.5 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें 45.4 पर्सेंट वोट मिले थे. इस दौरान टीएमसी का वोट शेयर 19.7% से बढ़कर 39.2% हो गया. 

2021 में कांग्रेस की करारी शिकस्तवहीं, पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस नेता के लिए चिंता पैदा करते हैं. 2016 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बहरामपुर क्षेत्र में आने वाली सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. हालांकि, 2021 में उसने यह सभी सातों सीट गंवा दी. इनमें से एक सीट बीजेपी ने और छह टीएमसी ने जीती थीं. 

इस दौरान ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने इन क्षेत्रों में 50.1 प्रतिशत वोट हासिल किए, उसके बाद बीजेपी को 31.6 प्रतिश और कांग्रेस को केवल 15.1 फीसदी ही वोट मिले. वहीं,  2016 में कांग्रेस ने यहां 45.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ इन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. वहीं टीएमसी को 24.9 प्रतिशत वोट शेयर मिला था.

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