Lok Sabha Election 2024 Latest News: कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार यूपी की अमेठी लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस की तरफ से किशोरी लाल शर्मा इस सीट पर मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से मुकाबला करेंगे.


राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को मात देकर क्या किशोरी लाल शर्मा फिर से कांग्रेस को उसकी परंपरागत सीट दिला पाएंगे या नहीं, ये तो नतीजे आने के बाद ही साफ होगा. फिलहाल कहा जा रहा है कि किशोरी लाल शर्मा बेशक राष्ट्रीय राजनीति में इतने चर्चित नाम न हों, लेकिन इस बार बीजेपी को वह कड़ी चुनौती दे सकते हैं. आइए आंकड़ों से जानते हैं पूरा गणित.


पहले जानिए अमेठी सीट का इतिहास


अमेठी लोकसभा सीट 1967 में बनी. 1967 से लेकर 1977 तक इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977-80 तक जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा रखा. 1980 से 98 तक यह इस सीट फिर से कांग्रेस के खाते में रही. 1998 में BJP को यहां से जीत मिली, लेकिन 1999 से एक बार फिर कांग्रेस ने अपने गढ़ को हासिल कर लिया.


इसलिए रेस में हैं किशोरी लाल शर्मा


अब यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे किशोरी लाल शर्मा बड़ा नाम न होते हुए भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टक्कर दे सकते हैं.



  • अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में 13 बार यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.

  • इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी चुनाव लड़कर जीत चुके हैं.

  • 2019 के चुनाव में बेशक स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया हो, लेकिन वोट का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था. तब स्मृति ईरानी करीब 50 हजार वोटों से जीती थीं.

  • 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 4,08,651 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहीं स्मृति ईरानी को 3,00,748 वोट मिले थे.

  • सोनिया गांधी जब रायबरेली से सांसद थीं तो किशोरी लाल शर्मा उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे. इसलिए क्षेत्र के वोटरों के बीच अच्छी पकड़ है.

  • किशोरी लाल शर्मा लंबे समय से अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस पार्टी के कार्यों को देखते रहे हैं. वह लोकल मुद्दे और लोकल वोटरों को लुभाने की कला जानते हैं. मूल रूप से पंजाब के रहने वाले किशोरी लाल शर्मा पहली बार 1983 में राजीव गांधी के साथ अमेठी पहुंचे थे. उसके बाद से वह लगातार अमेठी में कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.

  • क्षेत्र में किशोरी लाल शर्मा कितने पुराने और सक्रिय हैं. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद भी जब दूसरे नेता इस सीट से सांसद बने तो किशोरी लाल शर्मा उनके लिए काम करते थे.


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