Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल में चौथे चरण में बहरामपुर, कृष्णानगर, राणाघाट, बर्धमान पूर्व, बर्धमान-दुर्गापुर, आसनसोल, बोलपुर और बीरभूम सीट पर वोटिंग जारी रही है. इन सभी सीटों पर इस बार मुकाबला आसान नहीं होने वाला है. बेहरामपुर सीट छोड़कर माना जा रहा है कि ज्यादातर क्षेत्रों में बीजेपी और टीएमसी के बीच ही टक्कर है.


पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख नेता महुआ मोइत्रा चुनाव मैदान में हैं. उनका मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार अमृता रॉय से है, जो कृष्णानगर राजपरिवार से हैं. इस सीट पर साल 2019 के चुनाव में महुआ ने बीजेपी के कल्याण चौबे को 63,218 वोटों से हराया था. वहीं, साल 2014 में टीएमसी के तापस पाल ने सीपीएम प्रत्याशी के शांतनु झा को हराया था. यहां मुस्लिम 26.76 फीसदी,  एससी 29.9 फीसदी और एसटी 2.7 फीसदी हैं.  इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1704722 मतदाता है और कुल मतदान केंद्रों की संख्या 2383 मतदान है. 16,22,495 वोटर्स में  8,41,003 पुरुष मतदाता और 7,81,449 महिला मतदाता हैं. इस बार के चुनाव में यहां कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.


आसनसोल


वहीं, पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से मौजूदा बीजेपी सांसद एसएस अहलूवालिया को आसनसोल से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है. अहलूवालिया को पवन सिंह की जगह टिकट मिला है. इस सीट पर टीएमसी ने अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. 


बहरामपुर


बहरामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी चुनाव मैदान में हैं. टीएमसी ने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी के टिकट पर निर्मल कुमार साहा यहां से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर 1999 से अब तक कांग्रेस के अधीर चौधरी ने लगातार चार बार जीत हासिल कर चुके हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन चौधरी को 56.91% वोट मिले थे जबकि 2019 में उन्होंने 45.47% वोट हासिल किए थे. माना जा रहा है कि पठान अगर इस मुस्लिम वोट हासिल करने में सफल रहे तो चौधरी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.


बर्धमान-दुर्गापुर


बर्धमान से पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद टीएमसी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ बीजेपी ने दिलीप घोष को अपना उम्मीदवार बनाया है. यह सीट 2008 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के बाद 2009 में बनाई गई थी. तब से इसने पिछले तीन चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, टीएमसी और बीजेपी प्रतिनिधियों को लोकसभा भेजा है. बीजेपी के एस. एस. अहलूवालिया ने 2019 में करीब 3,000 वोटों से जीत हासिल की थी.


रानाघाट


रानाघाट सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है, जहां 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के सुकरु रंजन हलधर ने जीत हासिल की थी. वहीं 2014 में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए दोबारा जीत हासिल की और तपस मंडल सांसद चुने गए थे. 2019 के चुनाव में मिनाती बिस्वास कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में थी जबकि रुपाली बिस्वास तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही थी. बीजेपी ने इस सीट से इस बार जग्गनाथ सरकार को टिकट दिया है, वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ से श्यामल कुमार मलिक मैदान में हैं.


बर्धनाम पूर्व


बर्धनाम पूर्व निर्वाचन क्षेत्र एक एससी सीट है. 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के सुनील कुमार मंडल ने 89,311 वोटों के अंतर से सीट जीती.  सुनील कुमार मंडल को 45.00% वोट शेयर के साथ 640,834 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी के परेश चंद्र दास को हराया, जिन्हें 551,523 वोट (38.31%) मिले. 2014 के लोकसभा चुनावों में भी टीएमसी के सुनील कुमार मंडल ने यहां से जीत हासिल की थी. इस बार यहां इंडिया गठबंधन ने शर्मिला सरकार को टिकट दिया है और बीजेपी ने असीम कुमार सरकार को यहां से उतारा है, इन्हीं दोनों में मुकाबला माना जा रहा है.


 बोलपुर


2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल के असीत कुमार माल को बोलपुर से जीत हासिल हुई थी. उन्हें 699171 वोट मिले थे. भाजपा प्रत्याशी दास रामदास 592769 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे. जीत का अंतर 106402 था. इससे पहले 2014 के चुनाव में तृणमूल प्रत्याशी अनुपम हाजरा 630693 वोट लाकर जीते थे. 2024 में तृणमूल सांसद असीत कुमार दूसरी बार मैदान में हैं. वहीं भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बदल दिया है. महिला उम्मीदवार पिया साहा को टैगोर भूमि का उम्मीदवार बनाया है. इस बार भी यहां का चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा ही है। मतदाता खामोश हैं और खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं. वोटरों की खामोशी से प्रत्याशी आशंकित हैं. जीत को लेकर कोई पूरी तरह आश्वस्त नहीं है.


बीरभूम


बीरभूम सीट पर टीएमसी के लिए  हैट्रिक लगा चुकीं शताब्दी राय चौथी बार मैदान में हैं. 2019 में उन्होंने करीब साढ़े छह लाख वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. 2009 में शताब्दी ने 47.82 प्रतिशत, 2014 में 36.10 प्रतिशत और 2019 में 45.13 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किए. हालांकि शताब्दी को इस बार कई मुश्किलें झेलनी पड़ी रही हैं. पार्टी से उनका तालमेल दुरुस्त नहीं है. जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल से उनकी कभी नहीं बनी. भाजपा ने संगठन से देबतनु भट्टाचार्य को आखिरी समय में उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने मिल्टन रशीद को मैदान में उतारा है. यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है.