नई दिल्ली: 2019 की 19 महिलाओं में आज हमको अगाथा संगमा के बारे में बताने जा रहे हैं. अगाथा संगमा इस लोकसभा चुनाव में मेघालय के तुरा लोकसभा सीट से NCP की उम्मीदवार हैं. अगाथा संगमा का जन्म 24 जुलाई 1980 में दिल्ली में हुआ. वह भारत के पूर्व सांसद  हैं और 15 वीं लोकसभा का हिस्सा रहीं थीं. वह 2009 के संसदीय चुनाव में मेघालय के तुरा निर्वाचन क्षेत्र से राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लड़ी और जीती थीं. वह यूपीए 2 के मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र की राज्य मंत्री बनी थीं.


व्यक्तिगत जीवन


अगाथा संगमा का जन्म नई दिल्ली में लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पी ए संगमा और सोरादिनी संगमा के घर हुआ था. अगाथा का जन्‍म दिल्‍ली में जबकि उनका पालन-पोषण पश्चिमी गारो हिल्‍स, मेघालय में हुआ. उनके भाई कोनराड संगमा मेघालय के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अगाथा संगमा ने पुणे विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय में शामिल हुईं. उन्होंने ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय से पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर्स किया.


राजनीतिक सफर

अगाथा संगमा को पहली बार मई 2008 में उपचुनाव में 14 वीं लोकसभा के लिए चुना गया था. उस वक्त उनके पिता पी.ए. संगमा ने राज्य की राजनीति में शामिल होने के लिए अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया. बाद में साल 2009 में उन्हें 15 वीं लोकसभा चुनाव में अगाथा को फिर से चुना गया जहां वह सबसे कम उम्र की भारतीय सांसद बनी. मनमोहन सिंह की सरकार में संगमा को ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बनाया गया. उन्होंने अक्टूबर 2012 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान इस पद से इस्तीफा दे दिया. इस बार फिर वह


तुरा लोकसभा सीट से हैं अगाथा संगमा उम्मीदवार


साल 2014 के लोकसभा चुनाव में तुरा सीट से पीए संगमा ने जीत दर्ज की थी. संगमा लोकसभा के स्पीकर भी रहे थे. बतौर एनपीपी प्रत्याशी उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डैरिल विलियम चेरान मोमिन को करीब 39 हजार 716 वोटों से हराया था. पीए संगमा को साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 लाख 39 हजार 301 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार डेरिल विलियम चेरान मोमिन को एक लाख 99 हजार 585 मत हासिल हुए थे. इस चुनाव में 19 हजार 185 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया था.


साल 2016 में पीए संगमा के निधन होने की वजह से इस सीट पर उपचुनाव हुए. इस बार पीए संगमा के बेटे कोनराड संगमा ने जीत दर्ज की. हालांकि 2018 में वो राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. कोनराड के इस्तीफे के बाद से यह सीट अभी तक खाली है.


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