नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में 2014 जैसी ही हार मिलने के बाद से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार मंथन कर रहे हैं. आज भी नेताओं के साथ उन्होंने कई दौर की बैठक की. दरअसल, 23 मई को चुनावी नतीजों के आने के बाद से ही राहुल गांधी बेहद नाराज हैं. इसकी एक प्रमुख वजह हार तो है ही लेकिन इसकी दूसरी वजह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दबदबा है. जो राहुल गांधी को हार के बाद नागवार गुजर रहा है. यही नहीं कैंपेन में वरिष्ठ नेताओं की आक्रमकता नहीं होना, न्याय योजना के वायदों के प्रचार की पहुंच गांव-कस्बों तक नहीं होना भी नाराजगी की मुख्य वजह है. जानें राहुल गांधी की नाराजगी की 3 मुख्य वजह-


1. सूत्रों के मुताबिक, 25 मई को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में राहुल गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का जिक्र करते हुए कहा था कि इन नेताओं ने बेटों-रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद की और उन्हीं को चुनाव जिताने में लगे रहे और दूसरे स्थानों पर ध्यान नहीं दिया. जिसका खामियाजा मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी को उठाना पड़ा. राजस्थान में कांग्रेस खाता भी खोलने में नाकामयाब रही है. वहीं मध्य प्रदेश में पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की. जबकि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है.


सूत्रों के मुताबिक, कई दौर की बैठक के बाद सूत्र बता रहे हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे लेकिन राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने कुछ शर्त रखी है. राहुल का कहना है कि वो पार्टी के अध्यक्ष जरूर है लेकिन संगठन और बाकि पार्टी के बड़े फैसले लेने का अधिकार नहीं है. अगर सभी बड़े नेता इस बात सहमत होगे तभी मैं पार्टी के लिए काम करुंगा.


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2. संगठन की जिम्मेदारी- राहुल गांधी के सामने पार्टी में काम करने में सबसे बड़ी दिक्कत सामंजस्य को लेकर है. वे पुरान और युवा नेताओं में सामंजस्य नहीं बैठ पाने की वजह से भी समस्याओं का सामना करते रहे हैं. दरअसल, पिछले साल के आखिरी में जब राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत हुई तो राहुल चाहते थे कि सचिन पायलट को राजस्थान का और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाए. इससे युवाओं में अलग संकेत जाएगा. लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं ने समझाया कि लोकसभा चुनाव ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी है तो अशोक गहलोत और कमलनाथ पर दांव खेलना चाहिए. लेकिन जब अब नतीजे आए हैं उसका सीधा असर देखा जा रहा है.


3. कैंपेन- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले राफेल डील में घोटाले के आरोप लगाए और चौकीदार चोर है जैसा नारा दिया. साथ ही न्याय योजना लागू करने का वायदा किया. अब इन दोनों मुद्दों को लोकसभा चुनाव में वरिष्ठ नेताओं के द्वारा आक्रमकता के साथ नहीं उठाया गया. पिछले दिनों ही कांग्रेस के समर्थक तहसीन पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस के कार्यक्रम के बारे में आम लोगों को नहीं बताया गया, हमारे नेता ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंच सके.


इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 52 सीटों पर जीत मिली है. वहीं बीजेपी ने इसके मुकाबले 302 सीटों पर जीत दर्ज की है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस सत्ता में है कांग्रेस मात्र तीन सीट जीत सकी. तीनों राज्यों में लोकसभा की कुल 65 सीटें हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी.