दिल्ली चुनाव: दिल्ली की 70 में से 62 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी दोबारा से सरकार बनाने के लिए तैयार है. दिल्ली के विधानसभा चुनाव में 16 ऐसे चेहरे थे जो कि पाला बदलकर मैदान में किस्मत आजमा रहे थे. आम आदमी पार्टी ने पाला बदलने वाले जिन नेताओं पर दांव लगाया था, उनमें से ज्यादातर विधायक बनने में कामयाब हुए. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की तरफ जाने वाले चेहरों को हार का सामना ही करना पड़ा.


आम आदमी पार्टी से बगावत करने वाले कपिल मिश्रा को बीजेपी ने मॉडल टाउन से उम्मीदवार बनाया था. कपिल मिश्रा को करीब 10 हजार वोट से आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश त्रिपाठी ने मात दी. गांधीनगर से पूर्व विधायक अनिल बाजपेयी ने पाला बदलते हुए इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. अनिल बाजपेयी बेहद ही कड़े मुकाबले में 6 हजार वोट से आप उम्मीदवार नवीन चौधरी को मात देने में कामयाब रहे. नवीन चौधरी भी कांग्रेस छोड़कर चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने कांग्रेस से आए संजय सिंह को विकासपुरी और सुरेंद्र पाल को तिमारपुर से उम्मीदवार बनाया था. पाला बदलने वाले इन दोनों नेताओं को हार का सामना करना पड़ा.


आप का दांव चला


आम आदमी पार्टी ने द्वारका से आदर्श शास्त्री के स्थान पर कांग्रेस से आए विनय मिश्रा को टिकट दिया. विनय मिश्रा 13 हजार वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. वहीं आदर्श शास्त्री ने कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाई, लेकिन उनके हिस्से हार ही आई. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रहलाद सिंह को चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाया. प्रहलाद सिंह चांदनी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा को मात देकर विधायक बने. अलका लांबा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें महज 3,421 वोट ही मिले.


राजौरी गार्डन से आप ने कांग्रेस के टिकट पर 2017 में उपचुनाव लड़ चुकी धनवंती चंदैला को उम्मीदवार बनाया. धनवंती चंदैला 20 हजार वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रही. कांग्रेस की पूर्व पार्षद राजकुमारी ढिल्लो ने आप के टिकट पर हरिनगर से बीजेपी उम्मीदवार तेजेंद्र पाल बग्गा को करीब 20 हजार वोट से मात देकर जीत दर्ज की है.


मटिया महल से पांच बार विधायक रह चुके शोएब इकबाल इस बार आप के टिकट पर 50 हजार वोट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. बदरपुर से आप ने विधायक नारायण दत्त का टिकट काटते हुए राम सिंह नेता जी को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.


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इनके अलावा पूर्व विधायक गुगन सिंह और देवेंद्र सहरावत ने पिछले साल बीजेपी ज्वाइन की थी. लेकिन दोनों को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया.