Bihar NDA Seat Sharing For Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में NDA के सीट शेयरिंग फॉर्मूला का सोमवार को ऐलान हो गया. राज्य में बीजेपी 17 सीटों के साथ बड़े भाई की भूमिका रहेगी. जबकि 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके अलावा खुद को पीएम मोदी का 'हनुमान' बताने वाले चिराग पासवान को 5 सीटें मिली हैं. इसके अलावा एक-एक सीट उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी के खाते में गई है. वहीं, केंद्रीय मंत्री और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं मिली है. एनडीए में सीट न मिलने से पशुपति पारस नाराज बताए जा रहे हैं.


रामविलास पासवान के निधन के बाद जून 2021 में एलजेपी में टूट हुई थी. तब पार्टी के 5 सांसद पशुपति पारस, चौधरी महबूब अली, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया था. इसके बाद पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए थे. इसी के साथ चिराग पासवान सत्ता से दरकिनार कर दिए गए. 


चिराग ने विधानसभा चुनाव में बिगाड़ा था नीतीश का खेल


रामविलास पासवान के निधन के बाद राज्य में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इस चुनाव में उन्होंने खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ हमला बोला. इतना ही नहीं उन्होंने एनडीए में नीतीश के खाते में गई सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे. चिराग ने 5 सीटों पर बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदवार उतारे थे. भले ही इस चुनाव में उनकी पार्टी को एक सीट पर जीत मिली हो, लेकिन उन्होंने करीब 75 सीटों पर नीतीश की पार्टी को नुकसान पहुंचाया. इस चुनाव में लोजपा को 5.7 फीसदी वोट मिला. इस चुनाव में बिहार की 89 सीटें ऐसी थीं, जहां लोजपा को 10 हजार से ज्यादा वोट मिले और जदयू को नुकसान पहुंचा. इसका नतीजा ये हुआ कि नीतीश की पार्टी को सिर्फ 43 सीटें मिलीं.


क्या बगावत करेंगे पशुपति पारस?


सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने पशुपति पारस को भी मनाने की कोशिश की है. उन्हें राज्यपाल का ऑफर दिया गया है. इसके अलावा प्रिंस राज को बिहार सरकार में मंत्री बनाने का वादा किया गया है. लेकिन पशुपति पारस इस ऑफर पर खुश नहीं हैं. वे खुले तौर पर नाराजगी जता चुके हैं. 


हाल ही में पशुपति पारस ने बगावती तेवर दिखाते हुए कहा था, मैं पीएम मोदी का बहुत सम्मान करता हूं. हम 2014 से बहुत ईमानदारी से एनडीए का साथ देते आ रहे हैं. लेकिन हमारे साथ अन्याय हुआ है. 


उन्होंने कहा, हमें लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी गई. उन्होंने बीजेपी से लिस्ट पर दोबारा विचार करने की मांग की थी. इतना नहीं उन्होंने कहा था कि हमारे सामने विकल्प खुला था. पशुपति पारस ने कहा था, मैं बीजेपी की लिस्ट के बाद फैसला लूंगा. लेकिन इतना तय है कि हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जरूर लड़ूंगा. उन्होंने कहा था, हमारे तीन और सांसद अपनी अपनी सीटों से चुनाव में उतरेंगे. 


क्या इंडिया गठबंधन में जाएंगे पशुपति पारस?


पशुपति पारस विकल्प खुले रहने की बात कहकर ये संकेत दे चुके हैं कि वे इंडिया गठबंधन में जा सकते हैं. उधर, आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन ने भी पशुपति पारस के खिए दरवाजे खोल रखे हैं. इसके पीछे बिहार में पासवान वोट बड़ी वजह है. जातिगत जनगणना के मुताबिक, बिहार में  यादवों के बाद पासवान दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है. राज्य की कुल आबादी यानी 13 करोड़ में 5.3 प्रतिशत पासवान हैं. 


क्या हाजीपुर में होगा चाचा VS भतीजा?


एनडीए में सीट बंटवारे के ऐलान के बाद चिराग पासवान ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, मैं बीजेपी को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारी पार्टी का सम्मान दिया और हमें उचित स्थान दिया. गठबंधन में उचित स्थान मिला. मैं नीतीश कुमार को भी धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने भी गठबंधन धर्म निभाया है. मैं हाजीपुर से चुनाव लडूंगा.  हमने भी गठबंधन में अपनी एक सीट छोड़ी है कहीं न कहीं सभी को गठबंधन में कुछ ना कुछ बलिदान देना पड़ता है. मैं हर चुनौती के लिए तैयार हूं मेरे सामने कोई भी चुनौती आती है, उसका शक्ति से सामना करूंगा.