Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की काउंटिंग जैसे-जैसे अंतिम दौर में पहुंच रही है, रुझान साफ कर रहे हैं कि एनडीए की सरकार फिर से बनती दिख रही है. शुरुआती राउंड में बीजेपी और जदयू 167 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि महागठबंधन की स्थिति कमजोर नजर आ रही है. कांग्रेस के वोट चोरी वाले दावे और राहुल गांधी का ‘हाइड्रोजन बम’ दावा फिलहाल फेल होते दिख रहे हैं. बिहार के नतीजे अब सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि विपक्ष की रणनीति का भी आईना बनते जा रहे हैं.
कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की काउंटिंग में शुरुआती रुझान सामने आते ही राजनीतिक गलियारे गर्म हो उठे हैं. एनडीए 190 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और राज्य में उनकी सरकार बनने का रास्ता साफ नजर आ रहा है. इस बीच महागठबंधन महज 38 सीटों पर आगे चल रहा है. बीजेपी 90 और जदयू 80 सीटों पर आगे है. वहीं राजद सिर्फ 29 और कांग्रेस 05 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि लेफ्ट 6 सीटों पर आगे है. शुरुआती रुझानों के हिसाब से कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
‘वोट चोरी’ की रणनीति फेल
चुनाव से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी ने जोर-शोर से आरोप लगाया था कि भाजपा हर राज्य में वोट चोरी करके सरकारें बनाती रही है. बिहार में भी उन्होंने ‘वोट चोरी’ को लेकर हाइप बढ़ाया था. राहुल गांधी ने एग्जिट पोल के नतीजों पर जोर देते हुए दावा किया था कि भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं. उनके अनुसार बीजेपी के लाखों लोग खुलेआम अलग-अलग राज्यों में घूम-घूमकर वोट डाल रहे हैं और इस ‘चोरी’ को छिपाने के लिए सबूत मिटा दिए जा रहे हैं. कांग्रेस ने चेतावनी दी थी कि यह मुद्दा चुनाव आयोग और अदालत दोनों तक जाएगा.
फुस्स निकला हाइड्रोजन बम
लेकिन बिहार के रुझान दिखा रहे हैं कि राहुल गांधी के ये दावे फिलहाल जमीन पर तो टिक नहीं पा रहे हैं, इन्हें हवा-हवाई कहना ही बेहतर होगा. कांग्रेस का वोट बैंक पहले की अपेक्षा कमजोर नजर आ रहा है. उनके ‘हाइड्रोजन बम’ जैसे बयान, जिन्हें चुनाव से पहले बड़े ड्रामाई अंदाज में पेश किया गया था, अब फुस्स होते दिख रहे हैं. एनडीए की बढ़त और महागठबंधन की कमजोर स्थिति ने साफ कर दिया कि बिहार में जनता का मूड और चुनावी रुझान कुछ और ही कहानी कह रहे हैं.
बिहार चुनाव में कांग्रेस की साख पर हुआ गहरा असर
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार में यह साफ संकेत है कि लोगों ने राज्य में एनडीए गठबंधन को भरोसा दिया है. बीजेपी और जदयू का प्रदर्शन लगातार मजबूत रहा है और उनकी रणनीति सफल साबित हो रही है. वहीं, कांग्रेस को न केवल सीटों में नुकसान हुआ है, बल्कि उनकी साख भी प्रभावित हुई है. रुझानों का यह खेल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष की रणनीति का भी आईना बन गया है.
एनडीए के लिए जीत की आसान राह
सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि वोट चोरी जैसे आरोप अब सिर्फ बयानबाजी में सीमित रह जाएंगे. बिहार के मतदाता ने शुरुआत से ही यह संदेश दे दिया था कि वह अपने फैसले खुद लेने में सक्षम हैं. एनडीए की बढ़त इस बात का संकेत है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया और वोटिंग का असर वास्तविक नतीजों पर स्पष्ट दिख रहा है. अंततः नतीजों में यह साफ दिख रहा है कि कांग्रेस का ‘रॉकेट’ फेल हो रहा है और वोट चोरी वाला ‘हाइड्रोजन बम’ भी फुस्स पड़ गया. बिहार की जनता ने अपनी ताकत दिखाई और एनडीए के लिए जीत की राह आसान होती जा रही है.
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