आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव 2019: 2019 लोकसभा चुनाव के साथ तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चंद्रबाबू नायडू के सामने विधानसभा चुनाव में अपनी कुर्सी बचाए रखने की चुनौती है. वहीं जगन मोहन रेड्डी अपनी पार्टी वाईआरएस कांग्रेस को इस चुनाव में जीत दिलाकर पिता राजशेखर रेड्डी की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इन दोनों क्षेत्रीय पार्टियों के सामने कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी के सामने राज्य में अपना वजूद बचाए रखने की भी चुनौती है.
3 बार राज्य की गद्दी पर बैठ चुके चंद्रबाबू नायडू विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करके केंद्र में मोदी के खिलाफ अहम भूमिका निभाने की जद्दोजहत में लगे हैं. लेकिन इस बार चंद्रबाबू नायडू के लिए चुनौती 2014 के मुकाबले ज्यादा कड़ी होने वाली है, क्योंकि पिछली बार 10 साल बाद वह मोदी लहर पर सवार होकर ही सत्ता में वापस आए थे. पर अब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना मिलने के कारण एनडीए से अलग हो चुके हैं और उन्होंने अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. वहीं जगनमोहन रेड्डी टीडीपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के वाईएसआर कांग्रेस के साथ जुड़ने पर काफी उत्साहित हैं. जगन मोहन रेड्डी को उम्मीद है कि इस बार वह राज्य की गद्दी हासिल करके पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में कामयाब हो जाएंगे.
अलग राज्य बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव
2014 में जब आंध्र प्रदेश में चुनाव हुआ था तो तेलंगाना इसी राज्य का हिस्सा था. 16 मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद 1 जून को तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा मिल गया था. अलग राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश में टीडीपी और बीजेपी की सरकार बनी थी, जबकि तेलंगाना में टीआरएस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. हालांकि 2018 में विशेष राज्य की मांग पूरी नहीं होने के चलते चंद्रबाबू नायडू एनडीए से अलग हो गए.
बात अगर 2014 में आंध्र प्रदेश के हिस्से में आए चुनावी नतीजों की करें तो टीडीपी को राज्य की 175 में से 102 सीटें मिली थी, जबकि उस समय सहयोगी बीजेपी 4 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. पिता चंद्रशेखर रेड्डी के निधन बाद कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाने वाले जगन मोहन की वाईएसआर को इस चुनाव में 67 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी को 2014 के विधानसभा चुनाव में एक सीट पर भी जीत नहीं मिली.
वोट शेयर के मामले में टीडीपी और वाईएसआर के बीच कांटे का मुकाबला था, पर बीजेपी के साथ गठबंधन होने की वजह से चंद्रबाबू सत्ता पर काबिज होने में सफर रहे. 2014 के चुनाव में टीडीपी को 44.90 फीसदी वोट मिली थे. वाईएसआर कांग्रेस 44.60 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर थी. 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 2.8 फीसदी वोट मिले, जबकि बीजेपी के हिस्से 2.2 फीसदी वोट आए.
लोकसभा चुनाव में टीडीपी पहले नंबर पर रही
अलग राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें बची थी. इन 25 सीटों में से टीडीपी के 15 सांसद थे, जबकि उस समय की सहयोगी बीजेपी के 2 सांसद थे. राज्य की बाकी 8 सीटों पर वाईएसआर के सांसद चुन कर आए थे. उस समय कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.