नई दिल्ली: सीबीएसई 26 मई तक बोर्ड एग्जाम के नतीजे घोषित नहीं करेगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि सीबीएसई को इस साल मॉडरेशन पॉलिसी जारी रखनी होगी. लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सीबीएसई दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.


क्या है मॉडरेशन पॉलिसी ?
मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस मार्क्स दिए जाते रहे हैं. इसी के साथ अगर क्वेश्चन पेपर में कोई सवाल गलत होता है तब भी मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को मार्क्स दिए जाते हैं. सीबीएसई के अलावा भी कई बोर्ड मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देते हैं. मॉडरेशन पॉलिसी की मदद से स्टूडेंट्स को अच्छे मार्क्स लाने में भी काफी मदद मिलती है.


एचआरडी की अप्रैल में हुई एक अहम बैठक में सीबीएसई और कई राज्य के बोर्ड्स ने मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया था. इसके बाद ही सीबीएसई ने मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म कर दिया. मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने के पीछे दिल्ली यूनिवर्सिटी की हाई कट-ऑफ को भी एक कारण बताया गया था. मॉडरेशन पॉलिसी के तहत मुश्किल एग्जाम्स में स्टूडेंट्स को 15% तक ज्यादा मार्क्स दिए जाते हैं.


कैस मिलते हैं ग्रेस मार्क्स
हर साल सीबीएसई क्वेश्चन पेपर के तीन सेट डिजाइन करता है. इन तीनों सेट में से एक सेट सबसे मुश्किल होता है. हर साल मुश्किल प्रश्नों को लेकर सीबीएसई के पास शिकायतें आती हैं. इन शिकायतों से निपटने के लिए सीबीएसई रिव्‍यू कमेटी बनाता है. अगर रिव्यू कमेटी को लगता है कि क्वेश्चन पेपर ज्यादा मुश्किल था, तब इस आधार पर स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं.


क्या है विवाद ?
एक अभिभावक और वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा गया कि ये नीति इस साल की परीक्षा के बाद नोटिफिकेशन से बदली गई है. इस फैसले का छात्रों पर उल्टा असर पड़ेगा.


नियम खेल के शुरू होने के बाद नहीं बदला जा सकता- हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीएसई को निर्देश दिया कि वह मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने के अपने फैसले को इस साल लागू नहीं करे.


कोर्ट ने कहा कि “सीबीएसई ने स्टूडेंट्स के एग्जाम देने के बाद मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला किया है. ये स्टूडेंट्स के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है. नियम खेल के शुरू होने के बाद नहीं बदला जा सकता.”


अदालत ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि सीबीएसई अपनी घोषित नीति का पालन करेगी, इसमें मॉडरेशन पॉलिसी भी शामिल है जो उस वक्त प्रचलन में थी जब बच्चों ने परीक्षा दी थी.


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