नई दिल्ली:  राजस्थान के दौसा के रहने वाले विकास मीणा ने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की है. विकास के पिता रामनिवास मीणा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं. जबकि विकास की बहन वंदना मीणा सरकारी चिकित्सक हैं. पिछले वर्ष प्रथम प्रयास में ही विकास का आईपीएस में चयन हुआ था और उन्हें बिहार केडर में नियुक्ति मिली थी. आपको बता दें कि विकास ने परीक्षा में 568वीं रैंक हासिल की है.

एबीपी न्यूज के खास प्रोग्राम टॉपर्स सम्मेलन में विकास ने अपने सफर के बारे में बात करते हुए कहा कि, '' मैंने हिंदी मीडियम से यूपीएससी की परीक्षा पास की है.'' पिछले साल विकास मीणा आईपीएस के लिए सेलेक्ट हुए थे.

ये मेरा ड्रीम जॉब था: विकास

विकास से जब ये पूछा गया कि आईपीएस में सेलेक्शन होने के बावजूद उन्होंने आईएस को क्यों चुना? इसपर विकास ने जवाब दिया कि, '' सेलेक्शन होने के बाद मुझे ये अवसर मिला कि मैं दूसरी बार फिर से परीक्षा दे सकता हूं. मैंने ये किया और इसमें सफल भी हुआ. अगली बार मुझे लगा कि मैं अपना बेस्ट दे सकता हूं क्योंकि पिछली बार के प्रदर्शन से मैं खुश नहीं था. जिसके बाद मैंने ये सोचा कि एक और बार परीक्षा दी जाए और अच्छा रैंक लाया जाए. मेरे लिए ये ड्रीम जॉब था और मैं चाहता था कि मैं आईएस ही बनूं. आईपीएस भी एक ड्रीम जॉब है लेकिन मुझे लगा कि आईएस के साथ मैं सोसायटी के साथ और जुड़ सकता हूं.''

आत्मविश्वास है तो दुनिया की कोई भी परीक्षा पास कर सकते हैं: विकास

विकास से जब ये पूछा गया कि क्या हिंदी माध्यम वाले छात्रों के लिए यूपीएससी की परीक्षा मुश्किल है? इसपर विकास ने जवाब देते हुए कहा कि, ''किसी भी सफर की शुरूआत खुद से होती है. खुद को हमेशा आत्मविश्वास से भरा रखें. अगर आपके पास आत्मविश्वास है तो आप इस दुनियां का कोई भी एग्जाम पास कर सकते हैं. शुरू में मुझे कंटेट को लेकर थोड़ी परेशानी हुई लेकिन मैं आगे बढ़ता गया. मुझे एक समय ऐसा लग रहा था कि हिंदी मीडियम में कंटेट कम है. लेकिन मैं अपने पूरे सफर में पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ा. अब परीक्षा पास करने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि अब कोई परेशानी नहीं हैं. अगर हमें सफलता पानी है तो हमें खुद पर काम करना होगा.

इंग्लिश और हिंदी मीडियम में कोई अंतर नहीं: विकास

इंटरव्यू के दौरान विकास से जब ये पूछा गया कि क्या आपको कभी ये लगा कि आप इंग्लिश मीडियम से होते तो और अच्छा कर सकते थे? इसपर विकास ने जवाब देते हुए कहा कि, ''जैसे की ये मेरी दूसरी कोशिश थी. शुरूआत में मुझे ऐसी कोई परेशानी नहीं हुई. कई लोगों ने कहा कि इंटरव्यू के दौरान आपको थोड़ा अलग लगेगा. लेकिन जब मैं इंटरव्यू देने गया तो वहां बैठे बड़े लोगों ने मेरे साथ काफी अच्छा व्यवहार किया. मुझे ऐसा महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं कोई इंटरव्यू देने आया हूं. ''

हिंदी को मैंने अपना बेस बनाया

मैंने हिंदी को तो बेस बनाया ही था लेकिन इंग्लिश को मैंने छोड़ा नहीं था. मैं इंग्लिश के कंटेट को ट्रांस्लेट कर उसे हिंदी में बदलता था. ताकि मैं पूरे सफर के दौरान पिछे न रहूं. मैं कंटेंट को देखता था, करेंट अफेयर्स को एड करता था.

क्या हिंदी मीडियम वालों के लिए कंटेंट की कमी है?

अगर मैं कंटेंट को लेकर बात करूं तो जी हां फिल्हाल कंटेंट की कमी है. पूरे सफर के दौरान मैं कई लोगों से मिला और मुझे नहीं लगता कि यूपीएससी आपके कंटेंट या भाषा को लेकर आपसे अलग तरह का व्यवहार करती है.

सोशल मीडिया से रहें दूर

तैयारी के दौरान क्या सोशल मीडिया आपकी परफॉर्मेंस पर असर डालता है इस बार विकास ने कहा कि, ''मैंने सोशल मीडिया से बचने की कोशिश की थी. क्योंकि मुझे लग रहा था कि वहां कई ऐसी चीजें हैं जो आपकी तैयारी में खलल डाल सकती हैं. कई बार लोगों की राय आपकी तैयारी खराब कर देती है.''

आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है: विकास

विकास ने आगे कहा कि, '' हमेशा अपने आत्मविश्वास को बना कर रखें. कभी हार न माने. सफर काफी लंबा. आपको हर वक्त लड़ना होगा. आप फेल हो सकते हैं इसलिए हमेशा अच्छी तैयारी करें. ऐसा व्यक्ति बनें की पहले प्रयास में ही इसे क्लियर कर लें. खुद को जानें, डायरी लिखें और अपने आप को समझे. ये समझे की आपके लिए क्या बेहतर हो सकता है.''

इंग्लिश-हिंदी में किस पर करें फोकस?

इसपर विकास ने कहा कि, ''मुझे नहीं लगता कि मीडियम कोई फर्क डालता है. अगर आप हिंदी छोड़कर इंग्लिश मीडियम में आ जाते हैं और तैयारी करने लगते हैं लेकिन सही वक्त पर उसे अचछे से प्रेसेंट नहीं कर पाते हैं तो फिर कोई फायदा नहीं है. इसलिए मीडियम से कोई फर्क नहीं पड़ता बस मेहनत होनी चाहिए.''

यहां सुने विकास का पूरा इंटरव्यू


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