IAS Success Story: देश की सबसे बड़ी परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी) में बैठने का सपना हर तीसरे युवा का होता है जाहिर सी बात है ये देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है. लेकिन इसमें सफलता पाने  के लिए बहुत मेहनत की जरूरत होती है. कुछ कैंडिडेट्स पहले ही अटेम्प्ट में बाजी मार लेते हैं तो कुछ ​कैंडिडेट्स को कई अटेम्प्ट के बाद सफलता मिल पाती है. लेकिन एक आईएएस हैं डॉ हरिओम जिनकी क्षमता को उनके टीचर और उनके पिता ने पहचाना जबकि वो केवल एक अच्छा स्टूडेंट ही बनना चाहते थे. उन्हें सिंगर बनने का भी मन था इसलिए प्रोफेशन के साथ आज तक अपनी हॉबी को भी वे कायम रखे हुए हैं. आइए  जानते आईएएस डॉ हरिओम बारे में.


सिंगर बनने का था सपना 
आईएएस अधिकारी डॉ हरिओम 1997 बैच के आईएएस हैं. शुरू से उन्होंने सिंगर बनने का सपना देखा था. लेकिन इस सपने को उन्होंने शौक बना लिया. वे आज भी सिंगिंग करते हैं. उनके सिंगिंग वीडियोज सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं. कुछ समय पहले उन्होंने एक वीडियो बनाया जो वायरल भी हुआ. वीडियो कश्मीर का है जिसमें डल झील के पास हरिओम अपने साथियों के साथ गाना गा रहे हैं. बचपन उन्हें ग़ज़लों, गीतों और भजनों और कीर्तन का शौक रहा है. यही सुनते गाते वे बड़े हुए इसलिए कहा जा सकता है कि संगीत उनकी रगों में था.


इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मिली सिविल सेवा परीक्षा की प्रेरणा
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के एक छोटे से गांव कटारी में जन्मे डॉ हरिओम ने प्राइमरी की पढ़ाई के बाद ग्रेजुएशन इलाहाबाद से किया जो आज का प्रयागराज है.  जब हरिओम इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपनी स्टडी के लिए गए तो वहां के उन्हें एक अलग ही माहौल मिला. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में उनके अधिकांश क्लासमेट्स आईएएस और पीसीएस बनने की बातें किया करते थे. इससे वे प्रेरित हुए. माहौल का असर हुआ और उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. 


जेएनयू आने के बाद किया UPSC एग्जाम क्लियर
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद  हरिओम 1992 में जेएनयू पढ़ने आ गए. उनके मुताबिक जेएनयू में इस बड़ी परीक्षा को लेकर स्टूडेंट्स उन्हें ज्यादा सीरियस लगे. यहां के स्टूडेंट्स आईएएस परीक्षा की बातें ज्यादा किया करते थे. दिल्ली बड़ा शहर है इसलिए परीक्षा के लिए जरूरी सभी गाइडेंस यहां उन्हें मिला. इसका फायदा डॉ. हरिओम ने भी उठाया. उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया. सिर्फ फैसला ही नहीं किया बल्कि उन्होंने UPSC क्लियर किया और 1997 में IAS के लिए चुने गए.


पिता और टीचर्स ने पहचानी क्षमता 
डॉ हरिओम ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके पिता उन्हें आईएएस और पीसीएस में जाने और उसकी तैयारी के लिए ही मोटिवेट करते थे.  उनके टीचर्स का भी कहना था कि वह एक होनहार स्टूडेंट हैं और सिविल सेवा परीक्षाओं को क्रैक करने की क्षमता उनमें है. उन्होंने बताया था कि दूसरी तरफ वे केवल एक अच्छा स्टूडेंट बनने की कोशिश हमेशा करते थे. उनके टीचर और उनके पिता ने शुरू में ही उनकी क्षमता को पहचान लिया था.



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