यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करने वालों की कहानियां सामने आती हैं तो उन्हें पढ़कर आंखों से आंसू निकलने लगते हैं. दरअसल, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देश के सबसे कठिन एग्जाम्स में से एक है. इसे पास करने का सपना लाखों युवा देखते हैं, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो सिर्फ सफलता नहीं, बल्कि प्रेरणा की मिसाल बन जाती हैं. ऐसी ही कहानी है बिहार के नवादा जिले के महुली गांव के रहने वाले रवि राज की, जिनकी आंखों में रोशनी कम थी तो उन्होंने लगन से अपनी जिंदगी को रोशन कर लिया. उनके लिए उनकी मां सबसे बड़ी योद्धा बनकर सामने आईं. आइए जानते हैं कि रवि किस तरह आईएएस बने?

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मां ने ऐसे निभाया साथ

रवि की सफलता के पीछे सबसे बड़ी ताकत उनकी मां विभा सिन्हा रही हैं. उन्होंने बेटे की पढ़ाई को अपना जीवन मान लिया. वह किताबें पढ़कर सुनातीं, नोट्स तैयार करतीं और घर का हर काम इस तरह करतीं कि रवि की पढ़ाई में रुकावट न आए. रवि बताते हैं कि उनकी मां ने अपनी जिंदगी एक छात्र की तरह जी ताकि वह कुछ कर सकें. उन्होंने रसोई में रहते हुए भी मेरे लिए यूट्यूब लेक्चर चलाए, ताकि मेरा पढ़ाई से ध्यान कभी न हटे. रवि ने अपनी तैयारी के दौरान खान सर की ऑनलाइन क्लासेस का भी खूब सहारा लिया. मां वीडियो चलातीं और रवि ध्यान से सुनते. यही उनकी पढ़ाई की रीढ़ बन गया.

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पहले भी साबित की थी अपनी काबिलियत

यूपीएससी से पहले ही रवि अपनी काबिलियत दिखा चुके थे. उन्होंने 69वीं बीपीएससी परीक्षा पास की थी और राजस्व अधिकारी के पद पर चयनित हुए थे. लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और ऊंचा था. इसलिए उन्होंने उस पद को ज्वॉइन नहीं किया और यूपीएससी की तैयारी जारी रखी.

तीन बार असफल, चौथे प्रयास में जीत

रवि राज को यूपीएससी में लगातार तीन बार असफलता मिली. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हर बार अपनी गलती को समझा, मेहनत बढ़ाई और चौथे प्रयास में सफलता हासिल की.

मां-बेटे की जोड़ी बनी मिसाल

रवि की कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि एक मां और बेटे की साझी जीत है. एक मां जिसने अपने बेटे के सपने को अपना लक्ष्य बनाया और एक बेटा जिसने अपनी मेहनत से उस सपने को साकार किया.

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