Success Story Of IAS Topper Kumar Anurag: आज हम आपसे जिस कैंडिडेट की चर्चा करने जा रहे हैं, वैसी सफलता की कहानियां जल्दी सुनने को नहीं मिलती. कभी सुना है कि जो लड़का कॉलेज में अधिकतर विषयों में बैक लाता हो, या जिसके पास होने के लाले पड़ जाते हों, वह आईएएस बन सकता है. जी हां, ऐसे ही हैं हमारे आज के टॉपर  कुमार अनुराग. बिहार के कटिहार के रहने वाले अनुराग का अगर एजुकेशनल बैकग्राउंड उठाकर देखें तो पाएंगे कि वे कभी अच्छे स्टूडेंट नहीं रहे. लेकिन उनकी इच्छाशक्ति हमेशा दृढ़ रही है. उन्होंने जब जो सोचा वह करके भी दिखाया.


इसे मोटे तौर पर यूं समझ सकते हैं कि अनुराग जब बैक ला रहे थे तब भी जानते थे कि यह उनकी लापरवाही है और जब टॉप करने की सोची तब भी इस बात को लेकर क्लियर थे कि चाहेंगे तो कर लेंगे. हुआ भी यही, अनुराग ने जिस दिन से पढ़ाई को गंभीरता से लिया उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कुमार अनुराग ने अपने इस सफर की खास बातें शेयर की. जानते हैं विस्तार से.


अनुराग का एजुकेशनल बैकग्राउंड –


अनुराग की स्कूलिंग एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल से हुई. इसके बाद अचानक 10वीं में उन्हें इंग्लिश मीडियम स्कूल में डाल दिया गया, लेकिन जिद्दी अनुराग ने हार नहीं मानी और 10वीं में अच्छे अंकों से परीक्षा पास की. 12वीं में भी उनका प्रदर्शन बढ़िया था.


क्लास 12 के बाद उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स. यह वो समय था जब अनुराग पढ़ाई को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं थे. कभी उनकी बैक आती थी, तो कभी परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ने बैठते थे. दोस्तों से नोट्स मांगकर जैसे-तैसे क्लास पार हो रही थी.


हालांकि इसी समय जब वे पीजी कर रहे थे तो उन्हें आईएएस परीक्षा देने का ख्याल आया और विडंबना देखिए जो स्टूडेंट सिंपल क्लास पास नहीं कर पा रहा था वह देश की सबसे कठिन परीक्षा मैं बैठने का सपना देखने लगा. पर कहते हैं न यूपीएससी को आपके बैकग्राउंड से कोई मतलब नहीं होता, यहां यूपीएससी और अनुराग किसी को बैकग्राउंड से मतलब नहीं था. यह एक नया सफर था और अनुराग मंजिल पाने के लिए एकदम तैयार थे.


यहां देखें कुमार अनुराग द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू -  




 


अनुराग का अनुभव -


अनुराग कहते हैं कि उन्हें पता था कि उनमें कमी है और सफल वही होता है जो अपनी कमियों को स्वीकार करके खुद को सुधारने की कोशिश करता है. अनुराग ने भी यही किया. खूब मेहनत से पढ़ाई की, नोट्स बनाएं, जमकर टेस्ट दिए. परीक्षा के हर पहलू को ठीक से समझा और नतीजा यह हुआ कि अपने पहले ही प्रयास में अनुराग साल 2017 में सेलेक्ट हो गए. लेकिन अनुराग के जुनून की हद देखिए कि वे इतने से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने फिर परीक्षा दी. अगले ही साल अनुराग ने 677 रैंक से 48वीं  रैंक प्राप्त की और उन्हें उनका मन-मुताबिक पद मिला.


इस बारे में अनुराग यही सलाह देते हैं कि यह परीक्षा बाकी कांपटीटिव एग्जाम्स से अलग है. क्योंकि इसे देने वाले हर कैंडिडेट के पास यहां आने का खास कारण होता है, पैशन होता है जो इस क्षेत्र में उसे लाता है. आपका कांपटीशन ऐसे ही लोगों से हैं इसलिए जरूरी है कि आपके अंदर भी एक पैशन हो जो पूरी जर्नी के दौरान आपको मोटिवेटेड रखे.


अनुराग अंतिम सलाह यह देते हैं कि परीक्षा की तैयारी शुरू करने में जल्दबाजी न करें. पहले परीक्षा पैटर्न से लेकर स्ट्रेटजी तक सब आराम से प्लान कर लें उसके बाद ही आगे बढ़ें. यह याद रखें कि तैयारी में समय लगाना अनिवार्य है ताकि मंजिल तक पहुंचने का रास्ता सही चुन सकें.


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