Success Story Of IAS Topper Bishakha Jain: छोटी सी बिसाखा को देखकर यकीन नहीं होता कि इनके अंदर इतना बड़ा साहस होगा. 2015 में शुरू हुआ उनका यूपीएससी सफर साल 2019 में मंजिल पर पहुंचा. पांच प्रयास करने के बाद उन्हें पहली सफलता हासिल हुई. जाहिर है इस दौरान उन्होंने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे पर हर हाल में खुद को संभाले रखा. कभी यह क्षेत्र छोड़ने का फैसला किया तो कभी दिल की आवाज को अनदेखा न कर पाने के कारण वापस इस युद्ध में कूदीं. जानते हैं बिसाखा से उनकी सालों की मेहनत के पीछे के धैर्य का राज.


हमेशा सफल होने वाली बिसाखा यहां बार-बार हुईं असफल –


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में बिसाखा कहती हैं कि वे हमेशा से एकेडमिक्स में बहुत अच्छी थी. लगभग हर कक्षा में उनके बढ़िया अंक आते थे. यह सफलता का सफर जो स्कूल से शुरू हुआ था वह आगे जाकर सीए बनने तक बदस्तूर चलता रहा. सीए का एंट्रेंस हो या सीए के पेपर, बिसाखा ने सब एक बार में पास किया. जाहिराना तौर पर इससे उनका कांफिडेंस और बढ़ गया और वे यूपीएससी के क्षेत्र में यह सोचकर आयी कि यहां भी एक ही बार में सफलता हासिल करके दिखाएंगी.


लेकिन होनी ने उनके लिए कुछ और ही योजना बनाई थी. पहली बार तो छोड़ो यहां बिसाखा चार अटेम्प्ट देने के बाद भी सफल नहीं हुईं. बार-बार मिलने वाली असफलता ने उन्हें झकझोर दिया और उन्होंने यह सपना छोड़ने की योजना बनाई.


यहां देखें बिसाखा जैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



जब सीए की तरफ कर ली वापसी –


पहले अटेम्प्ट में बिसाखा ने प्री परीक्षा निकाल ली और यहां से उनका कांफिडेंस और बढ़ गया लेकिन इस साल वे मेन्स पास नहीं कर पाई. अगले साल बिसाखा ने जमकर मेहनत की लेकिन फिर भी उनका मेन्स और इंटरव्यू देने के बाद भी सेलेक्शन नहीं हुआ. इसी प्रकार बिसाखा को बार-बार प्रयास करने और मेन्स लिखने के बावजूद सफलता नहीं मिल रही थी. इसी दौरान एक वक्त आया जब बिसाखा ने यह क्षेत्र छोड़कर अपनी सीए की डिग्री के दम पर जॉब हासिल की और एक बढ़िया कॉरपोरेट नौकरी करने लगीं. हालांकि नौकरी में उनका मन नहीं लगा और वे अपने पब्लिक सर्विस वाले सपने को दिल से नहीं निकाल पाई. नतीजा यह हुआ का बिसाखा ने नौकरी में रहते हुए फिर परीक्षा दी और इस बार फिर प्री भी नहीं हुआ. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पांचवीं कोशिश की. इस बार जैसे ही उनका प्री हुआ वे नौकरी से रिजाइन करके मेन्स की तैयारी में लग गईं. अंततः साल 2019 में बिसाखा ने सभी चरण पास किए और 101वीं रैंक के साथ टॉपर बनीं.


कई बार निराशा ने घेरा –


बिसाखा कहती हैं कि इन सालों में कई बार ऐसा हुआ कि घनघोर निराशा ने उन्हें घेरा पर वे बार-बार अपने आप को बहलाती रहीं कि एक न एक दिन वे जरूर सफल होंगी. एक बार यूपीएससी देने के बाद जब वे सीए की ओर मुड़ी और फिर सीए छोड़कर यूपीएससी के क्षेत्र में आई तो ये सोचकर आयी थी कि चाहे जो हो जाए अब बिना सफल हुए वापस नहीं जाना है. वे यह तो मानती हैं कि यूपीएससी के अलावा भी जिंदगी है पर वे यह भी तय कर चुकी थी कि जब तक एक भी अटेम्प्ट बचा है, वे पीछे नहीं हटेंगी.


दूसरे कैंडिडेट्स को बिसाखा यही सलाह देती हैं कि यह सफर बहुत ही अनोखा है. इसमें चलने के बाद आप सफल जरूर होते हैं, अगर यूपीएससी के अंदर नहीं तो यूपीएससी के बाहर ही सही. इसलिए यहां लगने वाले समय को लेकर परेशान न हों और इस क्षेत्र में आने के पहले खुद को इस बात के लिए तैयार कर लें कि यह जर्नी लंबी हो सकती है. अपने लिए अन्य विकल्प भी तैयार करें ताकि इस बात से कांफिडेंस कम न हो कि यहां सेट नहीं हुए तो करियर का क्या होगा. अपनी हॉबीज को टाइम दें जिससे इस लंबी जर्नी में रिफ्रेश हो सकें और निस्काम कर्मा के फॉर्मूले पर चलें. परीक्षा पूरे मन से दें पर यह न सोचें कि इसका परिणाम क्या होगा. याद रखें कि मेहनत करना आपके हाथ में है लेकिन फल पाना नहीं.


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