Sleep is important before exam: आजकल बोर्ड एग्जाम चल रहे हैं. ऐस में कुछ बच्चों की आदत होती है कि चाहे उन्होंने पहले से कितनी भी पढ़ाई की हो लेकिन एग्जाम के एक रात पहले वे सबकुछ रिवाइज कर लेना चाहते हैं. ऐसे में वे रात में बहुत कम सोते हैं तो कई बार पूरी रात नींद नहीं लेते. कुछ छात्रों के लिए एग्जाम के दिनों में कम सोना आदत सा बन जाता है. ये प्रैक्टिस ठीक नहीं है. इसे एक्सपर्ट भी गलत मानते हैं. जानते हैं कि नींद पूरी न होने से हमारे शरीर में किस प्रकार के बदलाव होते हैं और ये अंतत: हमें कैसे नुकसान पहुंचाता है.


नींद पूरी न होने से हो सकती हैं कई समस्याएं



  • किसी व्यक्ति के लिए कितनी नींद जरूरी है ये उसकी उम्र पर मुख्य तौर पर निर्भर करता है. अगर छात्रों की बात करें तो उनके लिए 8 से 9 घंटे की नींद शरीर के सही ढ़ंग से काम करने के लिए जरूरी मानी जाती है.

  • अच्छी नींद से शरीर के हॉर्मोन सही काम करते हैं. जैसे शुगर लेवल, इंसुलिन लेवल ठीक रहता है. बॉडी का कोलेस्ट्रॉल, लेपटिन, घर्लिन और कोट्रिसॉल लेवल भी ठीक रहता है. इनके ठीक रहने से शरीर सही प्रकार काम करता है.

  • नींद पूरी न होने से लेपटीन जिसे सटाइटी हॉरमोन भी कहते हैं वह कम बनता है. इससे कितना भी खा लो पर पेट भरने या संतुष्टि का अहसास नहीं होता. इसके उलट नींद न लेने से घर्लिन हॉरमोन एक्टिव हो जाता है. इससे व्यक्ति ज्यादा खाने लगता है और उसे तरह-तरह के मीठे और नमकीन खाने की क्रेविंग होती है यानी खाने का मन करता है.

  • सबसे बुरी बात कि नींद न लेने से कोट्रिसॉल होरमोन ज्यादा रिलीज होता है. इसे स्ट्रेस होरमोन भी कहते हैं. इस वजह से शरीर में सूजन आ सकती है और आप बीमार भी हो सकते हैं. बीमारी की अवस्था में पेपर देना वैसे ही बहुत कठिनाई का काम है.

  • कोट्रिसॉल लेवल के बढ़ने से मेमोरी और कोऑर्डिनेशन में भी दिक्कत आती है. आपकी मेमोरी खराब हो सकती है, चीजें भूलने लगते हैं और भुलक्कड़ हो जाते हैं. इस सब से स्ट्रेस और एंग्जाइटी बढ़ती है और दिमाग में डर पैदा होता है. इसलिए परीक्षा के दिनों में या आम दिनों में दोनों ही मौकों पर नींद से समझौता न करें.


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