हाल ही में क्लाइमेट एक्टिविस्ट और इनोवेटर सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि जे आंगमो भी चर्चा में हैं. हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ़ अल्टरनेटिव्स (HIAL) की सह-संस्थापक और सीईओ के रूप में समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय गीतांजलि का जीवन प्रेरक और बहुआयामी रहा है.

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गीतांजलि का जन्म ओडिशा के बालासोर जिले में एक पंजाबी जैन परिवार में हुआ. बचपन से ही वह पढ़ाई में तेज थीं. उन्होंने फिजिक्स में स्नातक (B.Sc.) की डिग्री फकीर मोहन यूनिवर्सिटी, बालासोर से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर (XIMB) से एमबीए किया. उनके शैक्षणिक सफर ने उन्हें केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं दिया बल्कि नेतृत्व और प्रबंधन के गुण भी सिखाए.

कॉर्पोरेट दुनिया में करियर बनाने के बाद गीतांजलि ने यह महसूस किया कि उनका असली उद्देश्य समाज सेवा और नवाचार के क्षेत्र में योगदान देना है. उन्होंने डेनमार्क में लगभग 15 वर्षों तक विभिन्न संस्थाओं और कंपनियों में काम किया और इसी दौरान समाज सेवा और इनोवेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुभव हासिल किया.

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लद्दाख में शिक्षा और नवाचार का योगदानलद्दाख में उनकी मुलाकात सोनम वांगचुक से हुई. दोनों ने मिलकर HIAL की स्थापना की. इस संस्था के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, समाज सुधार और नवाचार को बढ़ावा दिया. गीतांजलि का उद्देश्य केवल बच्चों को पढ़ाना नहीं, बल्कि उन्हें जिम्मेदार, जागरूक और नवाचारी नागरिक बनाना भी है.

शारीरिक और मानसिक दक्षतागीतांजलि केवल पढ़ाई और समाज सेवा तक सीमित नहीं हैं. उन्होंने कराटे में ब्लैक बेल्ट प्राप्त किया है और रूसी बैले में भी प्रशिक्षण लिया. इससे पता चलता है कि उनके जीवन में शारीरिक और मानसिक संतुलन दोनों का महत्व है.

शोध और विद्वतागीतांजलि ने अपने अकादमिक सफर को आगे बढ़ाते हुए पीएचडी भी की है. उनकी पढ़ाई केवल डिग्री तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह श्री अरबिंदो के प्रकाश में वेदांत और गीता की शिक्षा देती हैं. उनके इस ज्ञान ने उन्हें समाज और शिक्षा के क्षेत्र में गहरी समझ दी है.

अंतरराष्ट्रीय अनुभव और सम्मानगीतांजलि यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में शेवनिंग फेलो रह चुकी हैं. साल 2022 में उन्हें भारत सरकार ने ‘वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया. यह पुरस्कार उनके समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान का मान्यता पत्र है.

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