दिल्ली में 3 अक्टूबर को आबकारी पैनल की बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता PWD मंत्री प्रवेश वर्मा ने की. बैठक का उद्देश्य दिल्ली में उत्पाद कर (Excise Tax) और शराब (Liquor) की अधिकतम खुदरा कीमतों (MRP) में बदलाव और नई मद्य नीति का मसौदा तैयार करना था. 

Continues below advertisement

सरकारी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली की शराब नीति में बदलाव से राज्य को अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना है और आसपास के NCR शहरों जैसे गाज़ियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में होने वाले राजस्व नुकसान को रोका जा सकेगा.

पुरानी दरों और नीतियों का असर

दिल्ली में शराब शुल्क दर 2014 से नहीं बदली है और MRP तीन साल पहले अपडेट हुई थी. इसके कारण राज्य का राजस्व कम हो रहा है और शराब का व्यापार सीमित लाभांश वाली श्रेणियों तक ही सीमित रह गया है. स्थायी बॉटल मार्जिन (Fixed Margin) सभी प्रकार की शराब पर समान होने के कारण रिटेल विक्रेताओं को सस्ती और कम लोकप्रिय शराब रखने के लिए प्रेरित करता है. इसके अलावा, लोकप्रिय और हाई-एंड शराब के लिए दुकान पर उपलब्धता सीमित होती है, जिससे ग्राहकों के विकल्प कम हो जाते हैं.

Continues below advertisement

नई नीति की प्रक्रिया और लाभ

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पहले ही बता चुकी हैं कि उनकी सरकार पारदर्शी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार मद्य नीति तैयार करने पर काम कर रही है. नई नीति के मसौदे में शराब राजस्व, प्रति बॉटल रिटेल मार्जिन, व्यवसाय करने में आसानी, कानूनी शराब की आयु और निजी खिलाड़ियों की भागीदारी जैसी सभी बातें शामिल होंगी. मसौदा तैयार होने के बाद इसे सार्वजनिक समीक्षा के लिए आम जनता और हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा.

आगे की राह और अपेक्षित परिणाम

सूत्रों के अनुसार, समिति के सुझावों के आधार पर मसौदा कुछ महीनों में तैयार हो सकता है. इसके बाद कैबिनेट और दिल्ली के राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा। नई नीति से न केवल सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा, बल्कि शराब व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं के लिए विकल्प भी बढ़ेंगे. इससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और NCR शहरों के साथ होने वाले राजस्व नुकसान को भी रोका जा सकेगा.