कोरोना संक्रमण नाम की जानलेवा बीमारी ने कई बच्चों से उनके माता-पिता का साया छिन लिया है. कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है. महाराष्ट्र राज्य में भी कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से अब तक 2,290 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक या फिर दोनों को खो चुके हैं. कोरोना काल में अनाथ हुए इन बच्चों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है और इस कारण उनकी शिक्षा भी प्रभावित हो रही है.

  लेकिन इस संकट की घड़ी में महाराष्ट्र सरकार कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों का सहारा बनी है.


बता दें कि स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने कोविड के कारण अपने माता-पिता को खो चुके 12वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रस्ताव किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव दिया गया था जिसमें कहा गया था कि उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग 12वीं कक्षा तक के बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी.

स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने ट्विटर पर दी जानकारी
गायकवाड ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी इस संबंध में एक पोस्ट की है. इस पोस्ट में लिखा गया है कि, “विभाग इन बच्चों के लिए "12 वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा की जिम्मेदारी" लेगा.



केरल सरकार कोरोना से अनाथ हुए बच्चों देगी हर माह 2 हजार रुपये
इससे पहले केरल सरकार ने भी इसी तरह की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा था कि सरकार ने तत्काल राहत के रूप में 3 लाख रुपये के विशेष पैकेज और कोविड के कारण अनाथ बच्चों को 2,000 रुपये की मासिक सहायता की घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चों की स्नातक होने तक की शिक्षा का खर्च सरकार वहन करेगी.


छात्रों को 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान की जाएगी. दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकारें पहले ही कोविड की वजह से अनाथ हुए बच्चों के लिए वित्तीय सहायता और मुफ्त शिक्षा की घोषणा कर चुकी हैं.


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