भारत और पाकिस्तान दोनों के पास ही एक ही तरह की राजनीतिक विरासत थी. दोनों देशों ने ब्रिटेन की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया, लेकिन दोनों देशों में प्रधानमंत्री बनने के नियम और प्रक्रिया काफी अलग है. भारत में प्रधानमंत्री का चयन जनता की तरफ से दिए गए मतों के आधार पर होता है. इसके अलावा भारत में प्रधानमंत्री बनने के लिए कुछ योग्यताएं भी निर्धारित की गई है. जबकि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया धार्मिक और संवैधानिक दोनों पहलुओं पर आधारित होती है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने के लिए कितना पढ़ा-लिखा होना जरूरी है. पाकिस्तान में कैसे होता है पीएम का चुनाव? पाकिस्तान में भी भारत की तरह आम चुनाव होते हैं. पाकिस्तान में कुल 342 सीटें हैं, जिनमें से 272 सीटों पर सीधे जनता वोट देकर अपने प्रतिनिधि चुनती है. बाकी 70 सीटों पर खास वर्ग और समुदाय के लोगों को नियुक्त किया जाता है. चुने गए सदस्य नेशनल असेंबली का हिस्सा बनते हैं और यही असेंबली प्रधानमंत्री का चयन करती है. दरअसल, जब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को अपना नेता चुनना होता है तो स्पीकर के आदेश पर सभी सदस्य असेंबली में मौजूद रहते हैं. वहीं इसके बाद असेंबली के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, ताकि कोई अंदर या बाहर न जा सके. इसके बाद स्पीकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करते हैं और सदस्य वोट देकर अपना नेता चुनते हैं, जिसके पक्ष में सबसे ज्यादा वोट पड़ते हैं वहीं पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनता है. पाकिस्तान का पीएम बनने के लिए क्या योग्यताएं जरूरी? पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, पाकिस्तान का प्रधानमंत्री वही व्यक्ति बन सकता है जो पाकिस्तान का नागरिक हो. पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए व्यक्ति का मुसलमान होना जरूरी है और वह कम से कम 25 साल की उम्र पूरी कर चुका हो. साथ ही, पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए व्यक्ति को इस्लाम की शिक्षाओं का ज्ञान प्राप्त होना चाहिए. वह इस्लाम की तरफ से बताए गए कर्तव्यों का पालन करता हो. इसके अलावा किसी गंभीर अपराध में शामिल न हो, उसका चरित्र अच्छा हो और वह इस्लामी मान्यताओं का उल्लंघन करने के लिए बदनाम न हो. इन योग्यताओं में कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि प्रधानमंत्री पद के लिए किसी विशेष शिक्षा की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी विशेष डिग्री या शिक्षा की योग्यता अनिवार्य नहीं है.
धार्मिक आधार पर ली जाती है शपथ भारत में प्रधानमंत्री या मंत्री जो संविधान की शपथ लेते हैं वह धर्म से जुड़ी नहीं होती है. हालांकि, पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शपथ लेते समय धर्म को साक्षी मानते हैं. उनकी शपथ में कुरान-ए-पाक, अल्लाह और हजरत मोहम्मद का जिक्र होता है. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शपथ के दौरान अपने नाम के बाद यह भी कहते हैं कि वह मुसलमान है तभी आगे की शपथ ली जाती है.
ये भी पढ़ें-भारत में प्रधानमंत्री बनने के लिए कितना पढ़ा-लिखा होना जरूरी? हैरान कर देगी यह हकीकत
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI