अगर आप इस साल अपने बच्चे को नर्सरी या कक्षा-1 में एडमिशन दिलाने वाले हैं, तो दिल्ली के कई निजी स्कूलों ने एक साफ संदेश दिया है जिसमे पास वाले स्कूल को ही चुन्ने की अपील की गयी है ऐसा करने से बच्चे का रोजाना स्कूल-घर आने-जाने का समय भी बचेगा और वो ट्रैफिक-जाम, प्रदूषण और सफर की थकान से भी दूर रहेगा.
पास का स्कूल चुनना क्यों है जरूरी?
स्कूलों का मानना है कि अगर बच्चे दूर-दराज के स्कूल में जाते हैं तो लंबा सफर उन्हें जल्दी थका देता है जिससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ता है साथ ही ट्रैफिक जाम में बार-बार रुकने से काफी समय बर्बाद होता है और रोजाना की भागदौड़ बच्चों की दिनचर्या को भी बिगाड़ देती है.
इसलिए स्कूलों की सलाह है कि घर के पास वाला स्कूल चुनना ज्यादा बेहतर होता है क्योंकि पास के स्कूल में पढ़ने से बच्चों को प्रदूषण का खतरा भी कम रहता है और अनावश्यक यात्रा नहीं करनी पड़ती एक प्रिंसिपल ने कहा कि दिल्ली में ट्रैफिक जाम आम बात है ऐसे में घर के पास स्कूल होने से बच्चे को सुबह-शाम लंबी यात्रा की थकान से बचाया जा सकता है.
स्कूल कैसे फैसला करते हैं कि किसे एडमिशन मिलेगा?
0 से 1 किलोमीटर दूरी पर रहने वाले बच्चों को एडमिशन प्रक्रिया में सबसे ज्यादा पॉइंट्स दिए जाते हैं जैसे करीब 70 पॉइंट्स तक मिल सकते हैं और जैसे-जैसे बच्चे के घर और स्कूल की दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे अंक भी कम होते जाते हैं यही कारण है कि 5 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर रहने वाले बच्चों को सबसे कम अंक मिलते हैं इस पूरी व्यवस्था का अर्थ यही है कि घर के पास रहने वाले बच्चों को एडमिशन मिलने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है.
अभिभावकों की राय
अभिभावकों की राय में पास का स्कूल चुनना इसलिए बेहतर माना जा रहा है क्योंकि नजदीक स्कूल होने से बच्चा रोज कम थकता है और आसानी से समय पर पहुंच जाता है साथ ही ट्रैफिक में फंसने की झंझट भी कम होती है जिससे बच्चे की सेहत और पढ़ाई दोनों पर अच्छा असर पड़ता है वहीं कुछ अभिभावक यह भी सोचते हैं कि पसंदीदा स्कूल अगर दूर है तो क्या बच्चे को एडमिशन में मुश्किल होगी और क्या दूरी वाले बच्चों को कम मौका मिलेगा हालांकि ज्यादातर लोग मानते हैं कि रोज की भागदौड़ और ट्रैफिक जाम को देखते हुए नजदीकी स्कूल ही सबसे सुविधाजनक विकल्प है और बच्चे के रोजमर्रा के रूटीन के लिए भी यह ज्यादा अच्छा रहता है.
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