NEP 2020 LIVE Updates: नई शिक्षा नीति में क्या-क्या हुए हैं बदलाव; जानें नई एजुकेशन पॉलीसी से जुड़ी हर जानकारी यहाँ
कुछ समय पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे आज कैबिनेट की बैठक में स्वीकार कर लिया गया है.
एबीपी न्यूज़ Last Updated: 30 Jul 2020 09:45 PM
बैकग्राउंड
नई दिल्ली: मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की सिफारिश के बाद एचआरडी मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. दिल्ली में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की...More
नई दिल्ली: मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की सिफारिश के बाद एचआरडी मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. दिल्ली में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में ये अहम फैसला लिया गया है. इसके अलावा इस बैठक में मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दे दी है. वहीं दोनों के बारे में सरकार की ओर से शाम चार बजे विस्तार से जानकारी दी जाएगी. बता दें कि कुछ समय पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय करने का प्रस्ताव दिया था. वहीं, शिक्षा नीति को मंजूरी मिल जाने के बाद अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी, ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके. ये होगा शिक्षक और छात्रों का अनुपात नई शिक्षा नीति के मुताबिक, आने वाले समय में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होगा. नई शिक्षा नीति में कहानी, रंगमंच,सामूहिक पठन पाठन, चित्रों का डिस्प्ले, लेखन कौशलता, भाषा और गणित पर भी जोर होगा. इस साल बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने नई शिक्षा नीति का एलान किया था. इस नई शिक्षा नीति के तहत देश में शिक्षा के मायने को बदला जाएगा. इससे न सिर्फ युवाओं को शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि रोजगार प्राप्त करने में भी आसानी होगी. ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम होगा शुरू शिक्षा नीति का एलान करते हुए सरकार ने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में एक्सटर्नल कमर्शियल बोर्रोविंग और विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे. सरकार युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने के उद्देश्य से शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है. साथ ही राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव लाया जा रहा है. वहीं टॉप 100 यूनिवर्सिटीज पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करें, इसकी भी योजना तैयार हो रही है. हायर एजुकेशन लेना होगा आसान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा है कि हमारी जो नई शिक्षा नीति आ रही है, वह काफी कुछ इन बातों का समाधान करेगी. शिक्षा नीति में सरकार ने हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इसके साथ ही युवाओं को हायर एजुकेशन लेना पहले के मुकाबले काफी आसान हो जाएगा.
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हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) को सेटअप किया जाएगा. यह पूरे हायर एजुकेशन सिस्टम के लिए एक सिंग्ल बॉडी होगी, जिसके पास हर तरह की अथॉरिटी रहेगी. इसके अंतर्गत मेडिकल और लीगल एजुकेशन नहीं आएंगे. एचईसीआई के पास चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र होंगे जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करेंगे.
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स्पेशली ऐबल्ड स्टूडेंट्स के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे, जिसके अंतर्गत फंडामेंटल स्टेज से लेकर हायर एजुकेशन तक हर स्टेज पर उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके. इनकी विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे. इसमें टेक्नोलॉजी बेस्ड टूल्स, सपोर्ट मैकेनिज्म, रिसोर्स सेंटर का निर्माण, असिस्टिव डिवाइसेस का प्रबंध आदि शामिल होगा.
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बस्तों को हल्का करने के लिए कदम उठाये जाएंगे. पहले की तरह अब भारी बस्तों के साथ बच्चों को स्कूल न जाना पड़े इस बाबत कदम उठाये जाएंगे. साल में कई बार बैगलेस डेज़ लाने की परंपरा को प्रोत्साहित किया जाएगा. इससे बच्चे दूसरी एक्टिविटीज जैसे आर्ट्स, क्विज, स्पोर्ट्स आदि में थोड़ा और समय दे पाएंगे.
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इंडियन साइन लैंग्वेजेस को अब पूरे भारत में मानकीकृत किया जाएगा. इसके लिए देश और राज्य के स्तर पर और स्टडी मैटीरियल बनाया जाएगा ताकि वे स्टूडेंट्स जिन्हें सुनने में समस्या है, वे इसका इस्तेमाल करके अपनी पढ़ाई आसानी से कर सकें. इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके पढ़ने के लिए मैटीरियल कम न पड़े और हर जगह आसानी से पठन सामग्री उपलब्ध हो.
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फिजिकल एजुकेशन, आर्ट एंड क्राफ्ट्स और वोकेशनल स्किल्स को साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स की ही तरह शुरू से आखिरी तक स्कूल क्यूरिकुलम में शामिल किया जाएगा. कुल मिलाकर अब पढ़ाई के साथ ही खेलकूद अथवा आर्ट एंड क्राफ्ट वाले क्रिएटेव स्टूडेंट्स को भी उनके टैलेंट के लिए प्रमुखता दी जाएगी. खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब वाला फंडा अब नहीं चलेगा.
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स्कूल शिक्षा के सभी चार स्टेजेस को छोटे सेमेस्टर्स या ऐसे ही किसी और सिस्टम में बदला जा सकता है ताकि मॉड्यूल छोटे हों और लंबे चलने के बजाय जल्दी खत्म हों. विषयों के चयन में उन्हें फ्लेक्सिबिलिटी दी जाएगी खासकर फिजिकल एजुकेशन, आर्ट एंड क्राफ्ट्स और वोकेशनल स्किल्स के मामले में. क्यूरीकुलर, एक्स्ट्रा क्यूरिकुलर और को-क्यूरिकुलर में ज्यादा अंतर नहीं रखा जाएगा साथ ही स्ट्रीम्स को लेकर भी सख्ती नहीं बरती जाएगी.
स्कूल शिक्षा के सभी चार स्टेजेस को छोटे सेमेस्टर्स या ऐसे ही किसी और सिस्टम में बदला जा सकता है ताकि मॉड्यूल छोटे हों और लंबे चलने के बजाय जल्दी खत्म हों. विषयों के चयन में उन्हें फ्लेक्सिबिलिटी दी जाएगी खासकर फिजिकल एजुकेशन, आर्ट एंड क्राफ्ट्स और वोकेशनल स्किल्स के मामले में. क्यूरीकुलर, एक्स्ट्रा क्यूरिकुलर और को-क्यूरिकुलर में ज्यादा अंतर नहीं रखा जाएगा साथ ही स्ट्रीम्स को लेकर भी सख्ती नहीं बरती जाएगी.
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हर स्टेज पर एक्सपीरियेंशियल लर्निंग को शामिल किया जाएगा. यानी केवल किताबों से पढ़ने के बजाय उसे कर के सीखना या कनवेंशनल मैथड्स को छोड़कर दूसरे तरीकों से पढ़ाना. जैसे स्टोरी टेलिंग, स्पोर्ट्स के माध्यम से सीखना, आर्ट्स को शामिल करना आदि. टिपिकल क्लासेस कंडक्ट करने के बजाय स्टूडेंट की कंपीटेंसी बढ़ाने वाले तरीके प्रयोग किए जाएंगे.
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अब टीचिंग और लर्निंग को ज्यादा इंटरैक्टिव बनाने पर जोर दिया जाएगा और पुराने तरीकों को बदला जाएगा, जिसमें केवल लेक्चर होते हैं. नये कोर्स कंटेंट में की – कांसेप्ट्स, आइडियाज, एप्लीकेशंस और प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूड पर अधिक फोकस किया जाएगा.
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नयी एजुकेशन पॉलिसी में क्यूरिकुलम के कंटेंट को घटाने की योजना बनायी गयी है. कंटेंट को ऐसे कम किया जाएगा जिससे सब्जेक्ट के कोर पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव न पड़े. साथ ही उसे ऐसा बनाया जाएगा ताकि क्रिटिकल थिंकिंग को शामिल किया जा सके और इंक्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन एवं एनालिसेस बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा दिया जा सके.
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अब ओपेन स्कूल ग्रेड्स, 3, 5 और 8 के लिए भी फॉर्मल स्कूल सिस्टम की तरह ए, बी और सी लेवल ऑफर करेंगे. यानी नेशनल ओपेन स्कूल (NIOS) और स्टेट के ओपेन स्कूल अब स्कूल लेवल पर भी कोर्स संचालित करेंगे. यही नहीं एनआईओएस द्वारा सेकेंडरी एजुकेशन प्रोग्राम्स जो ग्रेड 10 और 12 के समकक्ष होंगे, वोकेशनल एजुकेशनल कोर्सेस, एडल्ट लिट्रेसी और लाइफ इनरिचमेंट प्रोग्राम्स भी ऑफर किए जाएंगे.
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फंडामेंटल लिट्रेसी और न्यूमरेसी पर एक नेशनल मिशन, मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिर्सोस डेवलेपमेंट द्वारा वरीयता के साथ सेट किया जाएगा. यही नहीं स्टूडेंट्स की हेल्थ और न्यूट्रीशन का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा, हेल्थ से मतलब मेंटल हेल्थ से भी है. इसके लिए उन्हें हेल्दी मील्स दी जाएंगी साथ ही उनका रेग्यूलर हेल्थ चेकअप भी होगा. इसके अलावा उन्हें एक हेल्थ कार्ड इश्यू होगा जिससे उनकी सेहत की मॉनीटरिंग की जा सके.
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नई शिक्षा नीति को मान्यता देने वाली मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. इस बैठक में शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43 फीसदी से बढ़ाकर जीडीपी का छह फीसदी तक करने का लक्ष्य है.
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नई एजुकेशन पॉलिसी में उन शिक्षकों को ख़ासा ध्यान दिया गया है जो स्थानीय होते हैं या स्थानीय भाषा का ज्ञान रखते हैं. इसमें समय रहते ही शिक्षकों की भर्ती पर विशेष ध्यान दिया गया है. इससे छात्र और शिक्षक का अनुपात सुनिशिचित किया जा सकेगा.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भर्ती पर फोकस किया गया है. सबसे पहले उन क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती की जाएगी जहां छात्र- शिक्षक अनुपात कम हैं, जो इलाके शिक्षा से वंचित है, जहां अशिक्षा की दर कम है. इसके अलावा इस नीति में छात्र –शिक्षक अनुपात पर बल दिया गया है. हर स्कूल में छात्र – शिक्षक अनुपात 30:1 और उन स्कूलों में जो सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में है वहां छात्र –शिक्षक अनुपात 25:1 तय किया गया है.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक़ जो स्टूडेंट्स शोध के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उन्हें चार साल का डिग्री प्रोग्राम और जिन्हें नौकरी के क्षेत्र में जाना है उन्हें 3 साल का डिग्री प्रोग्राम करना होगा.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक़ संस्थान पांच साल का बैचलर और मास्टर्स प्रोग्राम ऑफ़र कर सकते हैं. जिसमें चार साल का डिग्री प्रोग्राम और फिर मास्टर प्रोग्राम करने बाद सीधे पीएचडी कर सकते हैं.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत संस्थान यदि चाहें तो दो साल का मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम ऑफ़र कर सकते हैं. जिसमें दूसरा साल पूरी तरह रिसर्च पर आधारित होगा.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गई है. इसमें तीन और चार साल के यूजी कोर्स और बैचलर प्रोग्राम शामिल हैं. चार साल के कोर्स में चौथे साल रिसर्च को शामिल किया गया है. इसके बाद स्टूडेंट्स चाहें तो एक साल का मास्टर कोर्स या फिर पीएचडी कर सकते हैं.
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भारत सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 34 साल के बाद मंजूरी प्रदान कर दी है. इस नीति के मुताबिक़ एमफिल कोर्स को बंद कर दिया जाएगा. इसकी जगह पर स्टूडेंट्स मास्टर डिग्री या चार साल बैचलर डिग्री प्रोग्राम करने के बाद पीएचडी कर सकते हैं.
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नई शिक्षा नीति के तहत यह माना गया है कि सभी बच्चे टैलेंटेड होते हैं. इसके तहत तीन साल की उम्र से लेकर आठवीं उम्र तक न परीक्षा होगी, ना कोई पाठ्यक्रम होगा, ना किताब होगी. अब उन्हें केवल खेल-खेल में सिखाया जाएगा.
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नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं होगीं. वहीँ 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को बदले स्वरूप में आयोजित की जायेंगी. कक्षा पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी.
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नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए स्कूल शिक्षा सचिव अनीता करवाल ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव को लेकर कई सुझाव हैं. जैसे इन परीक्षाओं को साल में दो बार आयोजित करवाना या फिर इन परीक्षाओं को दो भागों में बांटकर {ऑब्जेक्टिव टाइप और ब्याख्यात्मक} करवाना है. बोर्ड परीक्षाओं में अब मुख्य जोर स्टूडेंट्स के ज्ञान के परीक्षण पर होगा. इससे स्टूडेंट्स में रटने की प्रवृति ख़त्म होगी.
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नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि अब बोर्ड परीक्षाओं के माध्यम से स्टूडेंट्स की योग्यता और रियल क्षमता का परीक्षण किया जायेगा. बोर्ड परीक्षाओं को अब दो तरह से या दो भागों में बांटकर आयोजित किया जा सकता है. बोर्ड परीक्षाएं अब वस्तुनिष्ठ और ब्याख्यात्मक भी हो सकती हैं.
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नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं पर दबाव कम किया गया है. अब बोर्ड परीक्षाओं का आधार स्टूडेंट्स द्वारा रटे जाने वाले सवाल नहीं होंगे. नई शिक्षा नीति के तहत भविष्य में विभिन्न बोर्ड परीक्षाओं के व्यवहार्य मॉडल तैयार करेंगे. ये मॉडल वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाओं की तरह होंगी.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में करोड़ों स्टूडेंट्स एवं उनके अभिभावकों को सबसे बड़ी और अच्छी खबर यह कि इसमें 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान करने का ऐलान किया गया है. इससे स्टूडेंट्स पर अधिक अंक लाने का दबाव कम होगा और भविष्य में अभिभावक भी कोचिंग के चक्कर से मुक्ति पा सकेंगें.
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बदलते हुए समय की मांग देखते हुए एडल्ट लर्निंग में क्वालिटी और टेक्नोलॉजी बेस्ड ऑप्शंस को शामिल किया जाएगा. जैसे नये ऐप्स का निर्माण, ऑनलाइन कोर्सेस अथवा मॉड्यूल्स, सैटेलाइट आधारित टीवी चैनल्स, ऑनलाइन किताबें, ऑनलाइन लाइब्रेरी, एडल्ट एजुकेशन सेंटर्स आदि को डेवलेप किया जाएगा.
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यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक हाई क्वालिटी कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित करेगी, जिसके माध्यम से स्टूडेंट्स का चयन होगा. कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट के साथ ही स्पेशलाइज्ड कॉमन सब्जेक्ट एग्जाम्स जैसे साइंस, ह्यूमैनिटीज़, आर्ट्स, वोकेशनल सब्जेक्ट्स आदि भी एनटीए ही आयोजित करेगी.
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स्टूडेंट्स को 360 डिग्री होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड दिया जाए, यह भी नयी पॉलिसी में सुझाया गया है. इस रिपोर्ट कार्ड का मतलब है कि सब्जेक्ट्स में मार्क्स के साथ ही स्टूडेंट की दूसरी स्किल्स और मजबूत बिंदुओं को रिपोर्ट कार्ड में जगह दी जाए. कुल मिलाकर नया रिपोर्ट कार्ड सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित नहीं होगा.
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बोर्ड एग्जाम्स को लेकर भी नई पॉलिसी में अहम चर्चा हुयी है. इसमें कहा गया कि बोर्ड एग्जाम्स के महत्व और तनाव को घटाने के लिए बोर्ड एग्जाम साल में दो बार कंडक्ट कराए जा सकते हैं. इसमें भी एक बार की परीक्षा को ऑब्जेक्टिव और दूसरी बार की परीक्षा को डिस्क्रिप्टिव रखा जाए. इसके साथ ही बोर्ड्स नॉलेज को प्रमोट करने पर ज्यादा ध्यान दें न कि केवल लर्निंग को बढ़ावा देने पर फोकस करें.
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नयी पॉलिसी के अंतर्गत एनसीईआरटी को यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वे एक नेशनल क्यूरीकुलर एंड पैडेगॉजिकल फ्रेमवर्क फॉर अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (NCPFECCE) बनाएं जो आठ साल तक के बच्चों के लिए हो. यही नहीं क्लास 6 से बच्चों को क्लास में कोडिंग भी सिखायी जाए क्योंकि यह 21वीं सदी की स्किल है.
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अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन क्यूरीकुलम (ECCEC) की प्लानिंग और इम्प्लीमेनटेशन, एचआरडी मिनिस्ट्री, वुमेन एंड चाइल्ड डेवलेपमेंट, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर और ट्राइबल अफेयर्स मिलकर करेंगे.
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पांच साल से छोटे बच्चों को प्रिपरेटरी क्लास में भेजा जाएगा जिसे ‘बाल वाटिका’ नाम दिया गया है. यह क्लास वन के भी पहले की पढ़ाई के लिए है. इस क्लास में एक ईसीसीई क्वालीफाइड टीचर जरूर होगी.
पांच साल से छोटे बच्चों को प्रिपरेटरी क्लास में भेजा जाएगा जिसे ‘बाल वाटिका’ नाम दिया गया है. यह क्लास वन के भी पहले की पढ़ाई के लिए है. इस क्लास में एक ईसीसीई क्वालीफाइड टीचर जरूर होगी.
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वर्तमान समय में ऑनलाइन एजुकेशन और बढ़ते हुए ई-कंटेंट की लोकप्रियता और उपयोगिता को देखते हुए अब ई-कंटेंट केवल हिंदी और इंग्लिश भाषा में नहीं बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा. ई-कंटेंट को फिलहाल 8 मुख्य क्षेत्रीय और सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में उपलब्ध कराने पर विचार किया जा रहा है.
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नयी पॉलिसी में नये नियम बनाए गए हैं, जिसके तहत स्कूल एजुकेशन के स्ट्रक्चर को बदल दिया जाएगा. वतर्मान में चल रहे 10+2 स्ट्रक्चर को बदलकर 5+3+3+4 कर दिया जाएगा जिसके तहत 3 से 18 साल के स्टूडेंट्स को शामिल किया जाएगा. आज के स्कूल स्ट्रक्चर 10+2 में तीन से छ साल के बच्चों की एजुकेशन को नहीं गिना जाता है क्योंकि क्लास 1 शुरू ही 6 साल की उम्र से होती है. लेकिन नये स्ट्रक्चर 5+3+3+4 में अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन, जिसका हिस्सा तीन साल के बच्चे भी बन जाएंगे को भी शामिल किया जाएगा.
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नयी एजुकेशन पॉलिसी में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट ऑप्शंस को शामिल किया गया है. इसके तहत ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि विभिन्न कोर्सेस के किसी भी स्टेज पर स्टूडेंट अपनी एलिजबिलिटी और च्वॉइस के हिसाब से कोर्स ज्वॉइन कर लें या कोई खास स्टेज पूरा होने पर उसे वहीं छोड़ दें. स्टूडेंट के कोर्स के क्रेडिट को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स के माध्यम से ट्रांसफर किया जाएगा.
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इस बार एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव करीब 34 साल बाद किए जा रहे हैं. इससे पहले एजुकेशन पॉलिसी 1986 में रिलीज़ की गयी थी. तब से लेकर आज तक यह ऐसे ही चली आ रही है और इसमें किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया. नयी एजुकेशन पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गयी और इसे 21वीं सदी की पॉलिसी कहा गया.
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नये इस्टेब्लिशमेंट्स का होगा निर्माण. नयी एजुकेशन पॉलिसी के तहत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) को बनाने का फैसला लिया गया है. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य सभी यूनिवर्सिटीज में रिसर्च के काम को बढ़ावा देना है. यह केवल सरकार द्वारा संचालित किया जाएगा. इसके साथ ही इस बार की पॉलिसी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI) को बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है. यह विशेषतौर पर संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा.
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भारत की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ विदेशों में भी अपने कैम्पस बनाएंगी. नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में यह साफ किया गया कि भारत ही हाई परफॉर्मिंग यूनिवर्सिटीज़ को विदेशों में कैम्पस बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. यही नहीं विश्व की 100 टॉप यूनिवर्सिटीज को इंडिया में ऑपरेट करने के लिए सभी सुविधाएं दी जाएंगी.
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एजुकेशन मिनिस्ट्री, नेशनल कमेटी फॉर द इंटीग्रेशन ऑफ वोकेशनल एजुकेशन (NCIVE) का निर्माण करेगी ताकि भारत में जरूरी वोकेशनल नॉलेज को ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक पहुंचाया जा सके. इसे ‘लोक विद्या’ नाम दिया गया है.
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ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम होगा शुरू- राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव लाया जा रहा है. वहीं टॉप 100 यूनिवर्सिटीज पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करें इसकी भी योजना तैयार हो रही है.
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हायर एजुकेशन लेना होगा आसान- शिक्षा नीति में सरकार ने हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इसके साथ ही युवाओं को हायर एजुकेशन लेना पहले के मुकाबले काफी आसान हो जाएगा.
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युवा इंजीनियरों को मिलेगा इंटर्नशिप करने का मौका- शिक्षा नीति का एलान करते हुए सरकार ने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में एक्सटर्नल कमर्शियल बोर्रोविंग और विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे. सरकार युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने के उद्देश्य से शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था ऐलान- इस साल बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने नई शिक्षा नीति का एलान किया था. इस नई शिक्षा नीति के तहत देश में शिक्षा के मायने को बदला जाएगा. इससे न सिर्फ युवाओं को शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि रोजगार प्राप्त करने में भी आसानी होगी.
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1:30 होगा शिक्षक और छात्रों का अनुपात- नई शिक्षा नीति के मुताबिक भविष्य में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होगा. नई शिक्षा नीति में कहानी, रंगमंच,सामूहिक पठन पाठन, चित्रों का डिस्प्ले, लेखन कौशलता, भाषा और गणित पर भी जोर दिया जाएगा.
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नई शिक्षा नीति को मिली मंजूरी- बैठक में मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी, ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके.
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HRD मंत्रालय ने की थी सिफारिश- कुछ समय पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे आज कैबिनटे बैठक में मंजूर कर लिया गया है.
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HRD मिनिस्ट्री का नाम बदला- मानव संसाधन और विकास मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में ये अहम फैसला लिया गया है.
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