क्या चुनावी साल में नौकरियों की बहार आने वाली है. दरअसल श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल ने 28 अगस्त, 2023 को दस लाख से ज्यादा नौकरियों की वैकेंसी निकाली है. 


ये वैकेंसी प्राइवेट से लेकर सरकारी दोनों सेक्टर में निकाली गई हैं. इन नौकरियों से देश के ज्यादातर युवा के अंदर खुशी की लहर जाग उठेगी. क्योंकि वेबसाइट के अनुसार निकाली गई इन वेकेंसियों में फ्रेशर का भी खास ख्याल रखा गया है. एनसीएल पोर्टल के अनुसार जारी किए गए वैकेंसी में से 3 में से एक जॉब फ्रेशर्स के लिए है.


श्रम मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘‘दस लाख सक्रिय रिक्त पदो में से लगभग एक-तिहाई पद नये छात्रों के चयन के लिये अधिसूचित किये गये हैं. इससे युवा उम्मीदवारों को उनकी शिक्षा के तुरंत बाद रोजगार के अवसर प्राप्त करने में सुविधा होगी.’’


किन-किन विभागों में कितनी भर्तियां होंगी? 


पोर्टल के अनुसार ये वेकेंसियां टेक्निकल सपोर्ट ऑफिसर्स, डेटा एंट्री ऑपरेटरों, लॉजिस्टिक्स अधिकारियों, सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और मेंटेनेंस इंजीनियरों सहित कई अन्य सेक्टर में निकाली गई है.


वेबसाइट के अनुसार जारी किए गए 10 लाख वैकेंसी में 51 प्रतिशत नौकरियां फाइनेंस और बीमा के फील्ड से जुड़े है और 13 प्रतिशत परिवहन और भंडारण यानी स्टोरेज सेक्टर में बताई गई हैं.


ऑपरेशन और सपोर्ट, आईटी और संचार, विनिर्माण आदि जैसे अन्य क्षेत्रों ने कुल मिलाकर लगभग 12 प्रतिशत रिक्तियां है. 


मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि, "आने वाले त्योहार के सीजन के दौरान देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सकती है, जिसका मतलब है कि आने वाले कुछ महीनों के बाद भारत में और भी वैकेंसियां निकाली जा सकती है."


भारत में घटी बेरोजगारी 


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में जुलाई में कुल बेरोजगारी घटकर 7.95 फीसदी रह गई, जो जून में 8.45 फीसदी थी. ग्रामीण बेरोजगारी घटकर 7.89 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी बेरोजगारी 7.87 प्रतिशत से थोड़ा बढ़कर 8.06 प्रतिशत हो गई. 


महिलाओं में भी बेरोजगारी दर घटी


18वें पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के अनुसार भारत में साल 2022 के अप्रैल से जून महीने के दौरान 15 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों की बेरोजगारी दर शहरी इलाकों में 7.6 प्रतिशत थी. यही बेरोजगारी दर इसी साल के जनवरी-मार्च महीने में 8.2 प्रतिशत थी.


इसी सर्वे से ये भी पता चला की शहरी इलाकों में महिलाओं की बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में गिरकर 9.2% पर पहुंच गई. एक साल पहले की समान तिमाही में ये 10.1% रही थी.


वहीं साल 2022 के अक्टूबर से दिसंबर में महिलाओं की बेरोजगारी दर 9.6 प्रतिशत थी, जबकि यही जुलाई-सितंबर 2022 में 9.4% और अप्रैल-जून 2022 में 9.5% रही थी.


वहीं दूसरी तरफ, शहरी इलाकों में पुरुषों की बेरोजगारी दर भी कम हुई है. सर्वे के अनुसार जनवरी-मार्च 2023 में पुरुषों की बेरोजगारी दर गिरकर 6% पर पहुंच गई. एक साल पहले की समान तिमाही में ये 7.7% थी. अक्टूबर-दिसंबर 2022 के दौरान ये 6.5%, जुलाई-सितंबर 2022 में 6.6% और अप्रैल-जून 2022 में 7.1% रही थी.


पांच सालों में मोदी सरकार ने कितने लोगों को दी नौकरी


हमारे देश में बेरोजगारी को जड़ से खत्म करना आज से नहीं बल्कि दशकों से सबसे बड़ी समस्या रही है. जब देश में एनडीए की सरकार में सत्ता में आई थी उस वक्त बेरोजगारी को हटाना ही पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा था और अब इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार उन्हें घेरती भी रही है.


पिछले पांच सालों में कितने लोगों को दी नौकरी गई है. इस सवाल के जवाब में कार्मिक मंत्री जितेन्द्र सिंह ने संसद में बताया कि वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सपेंडिचर के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के सभी तरह केमंत्रालयों और विभागों में मार्च 1 साल 2021 तक तकरीबन 40 लाख 35 हजार पद ऐसे थे, जिनपर नियुक्ति की जानी थी.


इनमें से सिर्फ 30 लाख 55 हजार पदों पर लोगों को सरकारी नौकरी मिली हैं. यानी लगभग तकरीबन 9 लाख 79 हजार पद खाली हैं, जिन पर नियुक्ति नहीं हुई है.


2014 से अब तक सरकारी नौकरी का हाल


- लोकसभा में सरकार के अनुसार साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से लेकर जुलाई 2022 तक अलग-अलग सरकारी विभागों में कुल 7 लाख 22 हजार 311 आवेदकों को सरकारी नौकरी दी गई है.


- साल 2018-19 में महज 38,100 लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली थी. जबकि हैरान करने वाली बात ये है की उसी साल यानी 2018-19 में ही सबसे ज्यादा 5,करोड़ 9 लाख 36 हजार 479 लोगों ने आवेदन किया था. 


- लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार साल 2019 -20 में सबसे ज्यादा यानी 1,47,096 युवा सरकारी नौकरी हासिल करने में कामयाब हुए. थे. सालाना दो करोड़ के दावे के उलट ये आंकड़े जाहिर करते हैं कि सरकार अपने दावे का महज एक फीसदी यानी हर साल दो लाख नौकरियां देने में भी नाकामयाब रही है.


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