भारत में जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाएं लाखों छात्रों के लिए एक सपने की तरह होती हैं. ये परीक्षाएं इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे प्रतिष्ठित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए जरूरी हैं. लेकिन इन परीक्षाओं की कठिनाई और कॉम्पिटिशन इतनी ज्यादा है कि ज्यादातर छात्र इनकी तैयारी के लिए महंगी कोचिंग क्लासेस का सहारा लेते हैं. धीरे-धीरे कोचिंग एक ऑप्शन नहीं बल्कि जरूरत बन गई है. कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता ने कई समस्याएं भी पैदा की हैं, जैसे मेंटल स्ट्रेस, पारिवारिक दबाव, आत्महत्या के मामले, आगजनी की घटनाएं और कोचिंग संस्थानों की अव्यवस्था.
ऐसे हालात को देखते हुए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. अब केंद्र सरकार जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं की कठिनाई के स्तर की समीक्षा करने जा रही है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये परीक्षाएं कक्षा 12 के अनुसार हों और छात्र बिना कोचिंग के सिर्फ स्कूल की पढ़ाई से ही इन परीक्षाओं को पास कर सकें.
क्या है सरकार का नया प्लान?
सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति बनाई है, जिसका काम जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की कठिनाई का स्तर जांचना है और यह देखना कि क्या ये परीक्षाएं कक्षा 12 के सिलेबस के मुताबिक हैं या नहीं, इस समिति को जून 2025 में गठित किया गया था. समिति में कई बड़े शिक्षा संस्थानों के विशेषज्ञ और स्कूल प्रतिनिधि शामिल हैं. इसका नेतृत्व उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी कर रहे हैं.
क्यों जरूरी है यह समीक्षा?
पिछले कुछ साल में यह देखा गया है कि ज्यादातर छात्र जेईई और नीट के लिए कोचिंग पर निर्भर हो गए हैं. कोचिंग संस्थानों का बोझ और दबाव छात्रों की मेंटल हेल्थ पर असर डाल रहा है. इसके अलावा आत्महत्या जैसे गंभीर मामले भी सामने आए हैं, खासकर कोटा जैसे शहरों से, वहीं डमी स्कूल यानी सिर्फ कोचिंग के लिए बनाए गए फॉर्मल स्कूल छात्रों के संपूर्ण विकास को रोक रहे हैं. यह पूरा कदम नई शिक्षा नीति की सोच से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को समझ आधारित बनाना, हर छात्र की प्रतिभा को उभारना और उन्हें रचनात्मक तथा व्यावहारिक सोच के लिए प्रेरित करना है.
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