जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने एडमिशन लेने वाले नए छात्रों के लिए एक अहम नियम लागू किया है. अब किसी भी छात्र को दाखिला तभी मिलेगा जब उसके माता-पिता या स्थानीय अभिभावक यह लिखित तौर पर वादा करेंगे कि वे छात्र के आचरण और व्यवहार की पूरी जिम्मेदारी लेंगे. इसके लिए एक विशेष शपथ पत्र भरना जरूरी किया गया है, जिसे यूनिवर्सिटी के कुलपति ने भी मंजूरी दे दी है.
क्या है यह शपथ पत्र?
इस शपथ पत्र में माता-पिता या गार्जियन को यह लिखना होगा- मैं यह घोषणा करता हूँ कि मैं अपने बेटे/बेटी/अभिभाव्य छात्र के आचरण और चरित्र की पूरी जिम्मेदारी लेता हूँ. मैं जामिया मिल्लिया इस्लामिया का छात्र होने के नाते उसकी गतिविधियों को लेकर विश्वविद्यालय के प्रति जवाबदेह रहूंगा और जब भी जरूरत होगी, उपलब्ध रहूंगा.
अनुशासन पर खास जोर
ऐसे शपथ पत्र भारत के अन्य विश्वविद्यालयों में आमतौर पर सिर्फ रैगिंग रोकने के लिए लिए जाते हैं. लेकिन जामिया में यह कदम छात्रों के समग्र व्यवहार और अनुशासन को लेकर उठाया गया है. प्रशासन का मानना है कि इससे कैंपस में अनुशासन बना रहेगा और किसी भी असामाजिक गतिविधि पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सकेगा.
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छात्रों का विरोध
हाल ही में कैंपस में कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी की अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ धरना दिया था. यह धरना सेंट्रल कैंटीन के पास हुआ था, जिसमें छात्रों ने अपने साथियों पर लगे आरोपों को हटाने की मांग की थी. इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और छात्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने उनके अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें प्रदर्शन खत्म करवाने का दबाव डाला. छात्रों का कहना है कि उनके निजी विवरण जैसे घर का पता तक गेट पर चस्पा कर दिया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब इस मामले में मीडिया कोऑर्डिनेटर साइमा सईद से प्रतिक्रिया मांगी गई तो कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि एक फैकल्टी मेंबर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यह शपथ पत्र एक ‘सावधानी भरा कदम’ है ताकि छात्रों की शिक्षा और अनुशासन दोनों पर नजर रखी जा सके.
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