आईपीएल का नाम आते ही दिमाग में छक्के, चौके और करोड़ों की बोली घूमने लगती है. हर साल कई अनकैप्ड खिलाड़ी अपनी मेहनत के दम पर रातों-रात स्टार बन जाते हैं. लेकिन सवाल सिर्फ पैसे का नहीं है. इन खिलाड़ियों की पढ़ाई-लिखाई और संघर्ष की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है. इस बार आईपीएल नीलामी में करोड़ों में बिके कुछ अनकैप्ड खिलाड़ियों के “रिपोर्ट कार्ड” पर नजर डालते हैं.

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सबसे पहले बात करते हैं प्रशांत वीर की, जिन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने 14.2 करोड़ रुपये में खरीदा. प्रशांत की शुरुआती पढ़ाई ब्लॉक संग्रामपुर स्थित भारद्वाज एकेडमी और केपीएस स्कूल से हुई. बचपन से ही उन्हें क्रिकेट से खास लगाव था. उनकी प्रतिभा को सही दिशा देने का काम शहर के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर स्टेडियम में कोच गालिब अंसारी ने किया. पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट पर उनका फोकस साफ नजर आता था, जिसका नतीजा आज करोड़ों की बोली के रूप में सामने है.

इसी रकम यानी 14.2 करोड़ रुपये में चेन्नई सुपर किंग्स ने कार्तिक शर्मा को भी खरीदा. राजस्थान के रहने वाले कार्तिक एक युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं. उनका जन्म 2006 में हुआ और उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई पूरी की है. कम उम्र में आईपीएल जैसी बड़ी लीग तक पहुंचना उनके टैलेंट को दिखाता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाया.

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आकिब नबी डार, जिन्हें दिल्ली कैपिटल्स ने 8.4 करोड़ रुपये में खरीदा, जम्मू-कश्मीर से आते हैं. उनका जन्म 4 नवंबर 1996 को हुआ. वह एक तेज गेंदबाज हैं और घरेलू क्रिकेट में जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व करते हैं. आकिब की पढ़ाई को लेकर ज्यादा जानकारी सामने नहीं है, लेकिन उनका सफर बताता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद मेहनत से बड़ा मुकाम पाया जा सकता है.

संजय भारद्वाज का बड़ा हाथ

पिछले साल अनसोल्ड रहकर टूट चुके तेजस्वी सिंह दहिया के लिए यह नीलामी किसी सपने से कम नहीं रही. दिल्ली के इस विकेटकीपर-बल्लेबाज को कोलकाता नाइट राइडर्स ने 3 करोड़ रुपये में खरीदा. उनकी बेस प्राइस सिर्फ 30 लाख थी. तेजस्वी को लेने के लिए मुंबई इंडियंस, केकेआर और राजस्थान रॉयल्स के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला.

तेजस्वी की सफलता के पीछे उनके कोच और द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित संजय भारद्वाज का बड़ा हाथ है. पिछले साल नीलामी में अनसोल्ड रहने के बाद तेजस्वी भोपाल के पास जंगल में बने गुरुकुल में चले गए. यहां कड़ा अनुशासन था. मोबाइल फोन छीन लिए जाते थे और दिन में सिर्फ एक घंटे परिवार से बात करने की इजाजत थी. तेजस्वी मानते हैं कि बड़ा सपना पूरा करने के लिए त्याग जरूरी होता है.

इन प्लेयर्स का भी देख लें ग्राफ

अब बात करते हैं मुकुल चौधरी की, जिन्हें लखनऊ सुपर जाइंट्स ने 2.60 करोड़ रुपये में खरीदा. मुकुल सीकर के विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं और राजस्थान अंडर-17 टीम के कप्तान रह चुके हैं. उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा 70 से 75 प्रतिशत अंकों से पास की. हालांकि क्रिकेट के जुनून के चलते वे ग्रेजुएशन के पेपर नहीं दे पाए. स्कूल जाना भी सीमित रहा और कॉलेज तो वे एक दिन भी नहीं जा सके. परिवार चाहता था कि वे सरकारी नौकरी करें, लेकिन पिता ने उन्हें क्रिकेट का सपना पूरा करने का मौका दिया.

नमन तिवारी, जिन्हें लखनऊ सुपर जाइंट्स ने खरीदा, साधारण हालात से निकलकर आगे बढ़े हैं. सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट अभ्यास जारी रखा. जिला और राज्य स्तर के मैचों में उन्होंने अपनी पहचान बनाई.  मंगेश यादव, जिन्हें रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 5.20 करोड़ रुपये में खरीदा, का जन्म 10 अक्टूबर 2002 को छिंदवाड़ा के बोरगांव में हुआ. उनके पिता ड्राइवर हैं और मां गृहिणी. मंगेश ने बोरगांव के लिटिल स्टेप हायर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और फिर क्रिकेट को अपना करियर बनाया.

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