UGC की पहल क्या हैUGC का कहना है कि शिक्षा किसी एक उम्र या वर्ग तक सीमित नहीं होनी चाहिए इसी सोच के तहत अब विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे भारतीय भाषा के कोर्स सभी के लिए खोलें इसका मतलब यह है कि जो लोग पढ़ाई छोड़ चुके हैं या फिर अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते हैं वे भी अब विश्वविद्यालयों से भाषा सीख सकते हैं.
कौन कौन कर सकेगा आवेदनइस नई व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र शिक्षक यूनिवर्सिटी स्टाफ पेरेंट्स और अन्य इच्छुक लोग भारतीय भाषा कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे यानी अगर किसी छात्र के माता पिता या परिवार का कोई सदस्य किसी भारतीय भाषा को सीखना चाहता है तो वह भी इन कोर्स का हिस्सा बन सकता है.
किन भाषाओं के कोर्स होंगे उपलब्धUGC के अनुसार इन कोर्स में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया जाएगा इनमें हिंदी तमिल तेलुगु मलयालम कन्नड़ मराठी गुजराती पंजाबी बंगाली असमिया उड़िया उर्दू संस्कृत नेपाली कश्मीरी कोंकणी बोडो मैथिली डोगरी संथाली और सिंधी जैसी भाषाएं शामिल हैं इससे क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा.
कोर्स का लेवल और स्ट्रक्चरभारतीय भाषा कोर्स को अलग अलग स्तर पर कराया जाएगा जैसे बेसिक लेवल इंटरमीडिएट लेवल और एडवांस लेवल ताकि हर व्यक्ति अपनी जरूरत और समझ के अनुसार भाषा सीख सके ये कोर्स क्रेडिट आधारित होंगे छात्रों के लिए इसका अकादमिक फायदा होगा और पेरेंट्स व अन्य लोगों को कोर्स पूरा करने पर प्रमाण पत्र दिया जाएगा. यह भी पढ़ें -हाइड्रोजन ट्रेन का ड्राइवर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, जानें कितनी ज्यादा मिलेगी सैलरी?
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