UGC का मानना है कि भारतीय भाषाएं केवल बोलचाल तक सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि उन्हें पढ़ाई शोध और रोजगार से भी जोड़ा जाना जरूरी है इसी सोच के साथ यह फैसला लिया गया है ताकि भाषा सीखने वालों की संख्या बढ़े और विश्वविद्यालय समाज से सीधे तौर पर जुड़ सकें कई बार देखा गया है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की पढ़ाई में रुचि तो लेते हैं लेकिन खुद सीखने का मौका नहीं मिल पाता अब इस पहल से माता पिता भी बच्चों के साथ सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे जिससे घर में पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा.

Continues below advertisement

इसके अलावा जो लोग रिटायर हो चुके हैं या नौकरी के साथ कुछ नया सीखना चाहते हैं उनके लिए भी यह एक अच्छा अवसर होगा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का अनुभव लेना और सर्टिफिकेट हासिल करना उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा साथ ही भारतीय भाषाओं में दक्षता बढ़ने से अनुवाद लेखन शिक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी नए अवसर पैदा होंगे.

UGC को उम्मीद है कि इस पहल से क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति लोगों का रुझान बढ़ेगा और धीरे धीरे अंग्रेजी पर निर्भरता कम होगी जब अलग अलग उम्र के लोग एक साथ भाषा सीखेंगे तो सामाजिक जुड़ाव भी मजबूत होगा और विश्वविद्यालय ज्ञान के केंद्र के साथ साथ सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी उभरकर सामने आयेंगे .

Continues below advertisement

UGC की पहल क्या हैUGC का कहना है कि शिक्षा किसी एक उम्र या वर्ग तक सीमित नहीं होनी चाहिए इसी सोच के तहत अब विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे भारतीय भाषा के कोर्स सभी के लिए खोलें इसका मतलब यह है कि जो लोग पढ़ाई छोड़ चुके हैं या फिर अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते हैं वे भी अब विश्वविद्यालयों से भाषा सीख सकते हैं.

कौन कौन कर सकेगा आवेदनइस नई व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र शिक्षक यूनिवर्सिटी स्टाफ पेरेंट्स और अन्य इच्छुक लोग भारतीय भाषा कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे यानी अगर किसी छात्र के माता पिता या परिवार का कोई सदस्य किसी भारतीय भाषा को सीखना चाहता है तो वह भी इन कोर्स का हिस्सा बन सकता है.

किन भाषाओं के कोर्स होंगे उपलब्धUGC के अनुसार इन कोर्स में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया जाएगा इनमें हिंदी तमिल तेलुगु मलयालम कन्नड़ मराठी गुजराती पंजाबी बंगाली असमिया उड़िया उर्दू संस्कृत नेपाली कश्मीरी कोंकणी बोडो मैथिली डोगरी संथाली और सिंधी जैसी भाषाएं शामिल हैं इससे क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा.

कोर्स का लेवल और स्ट्रक्चरभारतीय भाषा कोर्स को अलग अलग स्तर पर कराया जाएगा जैसे बेसिक लेवल इंटरमीडिएट लेवल और एडवांस लेवल ताकि हर व्यक्ति अपनी जरूरत और समझ के अनुसार भाषा सीख सके ये कोर्स क्रेडिट आधारित होंगे छात्रों के लिए इसका अकादमिक फायदा होगा और पेरेंट्स व अन्य लोगों को कोर्स पूरा करने पर प्रमाण पत्र दिया जाएगा. यह भी पढ़ें -हाइड्रोजन ट्रेन का ड्राइवर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, जानें कितनी ज्यादा मिलेगी सैलरी?


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI