आजकल प्रदूषण की समस्या इतनी बढ़ गई है कि लोग अक्सर सोचते हैं घर के अंदर तो हवा सुरक्षित होगी. लेकिन हाल ही में बीआईटीएस पिलानी, आईआईटी जोधपुर और एनआईटी वारंगल के वैज्ञानिकों ने एक शोध में बताया है कि घर के अंदर की हवा अक्सर बाहर की हवा से दो से पांच गुना ज्यादा प्रदूषित होती है. शोध के अनुसार, यह स्थिति खासकर शहरों में अधिक खतरनाक हो सकती है, जहां घर छोटे और वेंटिलेशन कम होता है.

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वैज्ञानिकों ने भारत का पहला इंडोर एयर क्वालिटी (IAQ) इंडेक्स विकसित किया है. इसका मकसद घर के अंदर हवा में मौजूद हानिकारक प्रदूषकों का सही अंदाजा लगाना है. पहले लोग सोचते थे कि घर में रहकर हम जहरीली हवा से बच सकते हैं, लेकिन शोध में पाया गया कि घर के अंदर हवा में PM2.5 और PM10 जैसे पार्टिकुलेट्स की मात्रा बहुत ज्यादा हो सकती है.

किचन, सफाई और घरेलू कामों से बढ़ता प्रदूषण

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शोध में यह पाया गया कि रोज़मर्रा की गतिविधियां जैसे खाना बनाना, झाड़ू पोछा लगाना, गंदे कचरे को संभालना या बिना छांटे हुए कचरे का निपटान, हवा में प्रदूषकों की मात्रा बढ़ा देता है. छोटे घर, खराब वेंटिलेशन और एग्जॉस्ट सिस्टम की कमी इन प्रदूषकों को जल्दी जमा कर देती है, जिससे घर के अंदर का प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.

मौसमी और बाहरी कारण भी हैं जिम्मेदार

सर्दियों में धुंध और स्मॉग, त्योहारों में पटाखों का धुआं, पास के कूड़ेदान या पराली जलाने के धुएं से भी घर के अंदर की हवा खराब होती है. शोध के प्रमुख अतुल रॉय चौधरी कहते हैं हमारा अध्ययन दिखाता है कि हम घर के अंदर लगभग 90% समय बिताते हैं, इसलिए अंदर की हवा की गुणवत्ता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.

पश्चिमी मानक भारत के लिए काम नहीं आते

शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में घर और जीवनशैली की खासियत के कारण पश्चिमी देशों के IAQ मानक काम नहीं आते. बीआईटीएस पिलानी के प्रोफेसर शंकर गणेश कहते हैं हमारे घर, हमारी खाना बनाने की आदतें, हमारे त्योहार और जलवायु सब अलग हैं. इसलिए हमें भारत के लिए खास इंडोर एयर क्वालिटी स्केल की जरूरत है.

डेटा कैसे जुटाया गयाटीम ने भारतीय शहरों के घरों से रियल-लाइफ एयर डेटा एकत्र किया, खासकर निर्माण और मरम्मत वाले इलाकों में. फिर उन्होंने विश्लेषण करके प्रदूषकों को अलग-अलग महत्व दिया और एक साधारण IAQ स्केल बनाया, जिसे घर वाले आसानी से समझ सकें. इस स्केल की मदद से परिवार अपने घर के अंदर हवा की गुणवत्ता जान सकते हैं और सुधार के उपाय अपना सकते हैं.

बाहरी प्रदूषण का असरशोध में यह भी बताया गया कि बाहरी प्रदूषण जैसे पराली जलाना, कूड़ा डंप से निकलने वाले धुएं, और कचरे का सही निपटान न होना घर के अंदर हवा की गुणवत्ता पर बड़ा असर डालता है. बिना छांटे हुए कचरे से निकलने वाला मीथेन न केवल घर की हवा खराब करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के लिए भी खतरा है.

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