आज की दुनिया में अगर कोई चीज सबसे तेजी से बदल रही है, तो वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है. हर सेक्टर चाहे वो बैंकिंग हो, मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर या एजुकेशन सब कुछ अब डिजिटल और AI हो चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन-सा देश इस नए दौर का सबसे बड़ा AI हब बनकर उभर रहा है. AI, डिजिटल स्किलिंग और युवाओं की सीखने की ताकत को नई स्किल इकॉनमी में लीडिंग बना दिया है. अगर यही स्पीड बनी रही, तो आने वाले सालों में AI टैलेंट के मामले में ये देश दुनिया का नंबर वन देश बन सकता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किस देश में AI टैलेंट सबसे ज्यादा है और इस मामले में इंडिया किस पायदान पर आता है. 

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किस देश में AI टैलेंट सबसे ज्यादा है

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2026 के अनुसार, भारत अब दुनिया में AI स्किल्स के मामले में अग्रणी देशों में से एक है. यह रिपोर्ट ETS ने CII (Confederation of Indian Industry), AICTE (All India Council for Technical Education) और AIU (Association of Indian Universities) के साथ मिलकर तैयार की है.

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इस रिपोर्ट में 1 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों और 1000 से ज्यादा कंपनियों से डेटा इकट्ठा किया गया. भारत में अब AI को एक बेसलाइन स्किल  माना जाने लगा है यानी जैसे पहले कंप्यूटर चलाना या इंटरनेट का यूज आना जरूरी था, अब AI की नॉलिज भी लगभग हर डिजिटल जॉब के लिए जरूरी हो गया है.  AI और स्किलिंग ने बढ़ाई रोजगार-योग्यता रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की Employability यानी रोजगार पाने की क्षमता 2024 में 54.81 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 56.35 प्रतिशत हो गई है. इसका मतलब है कि अब पहले से ज्यादा लोग उद्योगों की जरूरत के हिसाब से स्किल्ड हो रहे हैं. इसके पीछे तीन बड़ी वजहें AI और डिजिटल स्किल्स में तेजी से ट्रेनिंग, टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवाओं की बढ़ती भागीदारी, महिलाओं की बढ़ती भूमिका, जिनकी Employability दर 54 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो पुरुषों से भी ज्यादा है.  इस मामले में इंडिया किस पायदान पर आता है रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI प्रोफेशनल्स की संख्या 2027 तक 12.5 लाख तक पहुंच जाएगी. 90 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी अब किसी न किसी रूप में जनरेटिव AI टूल्स का यूज कर रहे हैं.साथ ही IT सेक्टर की 70 प्रतिशत कंपनियां और बैंकिंग, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर (BFSI) की 50 प्रतिशत कंपनियां भर्ती के लिए AI-बेस्ड सिस्टम्स का यूज करने लगी हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्तीय वर्ष 2026-27 में कंपनियों का Hiring Intent यानी भर्ती करने की इच्छा 29 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है. सबसे ज्यादा नौकरियां टेक्नोलॉजी, बैंकिंग और फिनटेक, मैन्युफैक्चरिंग, रिन्यूएबल एनर्जी , हेल्थ केयर, इन सेक्टरों में बनने की उम्मीद है. साथ ही सिर्फ BFSI और फिनटेक सेक्टर ही 2030 तक 2.5 लाख नई नौकरियां पैदा कर सकते हैं. 

शिक्षा और नीति में बदलाव

भारत में गिग और फ्रीलांस वर्क फोर्स लगातार बढ़ रही है. यह आंकड़ा 2030 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. प्रोजेक्ट-बेस्ड हायरिंग में पिछले साल ही 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई.अब जबकि 72 प्रतिशत नौकरियां स्थायी हैं, वहीं गिग और थर्ड-पार्टी नौकरियां 16 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं. इसका मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे फ्लेक्सिबल वर्क मॉडल की ओर बढ़ रही है. 

वहीं AICTE की नई पहलों जैसे Project PRACTICE और AI व क्लाइमेट सेल्स ने तकनीकी शिक्षा को नया रूप दिया है.अब पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं बल्कि प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, इंडस्ट्री के साथ सहयोग, और स्टैकएबल सर्टिफिकेट्स पर ध्यान दिया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत को फ्यूचर में भी अपनी स्किल पावर बना कर रखनी है, तो उसे पॉलिसी, एजुकेशन और इंडस्ट्री को एक साथ जोड़ना होगा. 

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