अगर आप किसी चीज को पाने की ठान ले और उसके लिए आप खूब मेहनत करे तो आपकी सफलता के रास्ते में कोई भी नहीं आ सकता. इसी बात को साबित किया है तमिलनाडु के डी बाला नागेंद्रन ने, वे जन्म से नेत्रहीन है और उन्होंने बंद आंखों से भी कलेक्टर बनने का सपना देखा था. उन्होंने इसके लिए लगातार मेहनत की और असफलताओं का सामना भी किया, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी.


8 वर्ष तक लगातार डी बाला नागेंद्रन को यूपीएससी की परीक्षा में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने बिना हार माने अपनी तैयारी को जारी रखा और यूपीएससी 2019 में उनकी मेहनत सफल हुई और उन्होंने 659वीं रैंक हासिल करके आईएएस बनने का सपना पूरा कर दिखाया. बाला की ये कहानी हम सब के लिए एक प्रेरणा हैं. डी बाला नागेंद्रन ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा चेन्‍नई के ही लिटिल फ्लावर कान्वेंट और रामा कृष्णा मिशन स्कूल से पूरी की ओर इसके बाद उन्होंने चेन्नई के लोयला कॉलेज से बीकॉम की डिग्री प्राप्त की. अगर इनके परिवार की बात करे तो बाला के पिता भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं और वर्तमान में चेन्नई में टैक्सी चालक का काम करते हैं और उनकी माता जी एक गृहणी हैं.


बाला बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार रहे और उन्‍हें हमेशा स्‍कूल के अच्‍छे बच्‍चों में गिना गया. बाला की इस खूबी को देखकर स्कूल के एक टीचर ने उन्हें आईएएस बनने की प्रेरणा दी, उसके बाद से ही बाला ने आईएएस अफसर बनने का सपना देखना शुरू किया. बीकॉम की डिग्री हासिल करने के बाद बाला ने 2011 में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. यहां उनके लिए एक बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हुई जो थी ब्रेल लिपि भाषा में सभी किताबें का न उपलब्‍ध होना. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने की तैयारी में लगे रहे.


बाला ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी और हर बार उन्होंने असफलता का सामना किया. इन असफलताओं से उनका आत्मविश्वास नहीं टूटा और वे तैयारी करते रहे. बाला नागेंद्रन की मेहनत ने 4 साल के बाद रंग दिखाया और लगातार चार बार असफलता देखने के बाद 5वीं बार डी बाला नागेंद्रन ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा 2016 में पास की. इस परीक्षा में बाला ने 927 वीं रैंक हासिल की और उन्हें ग्रुप-ए सेवाओं के लिए उनका चयन किया गया लेकिन उन्होंने इस ज्वाइन को एक्सेप्ट नहीं किया. क्योंकि उनका सपने आईएएस बनने का था.


इसके बाद उन्होंने फिर अपनी तैयारी शुरू की और 2017 में एक बार फिर प्रयास किया, लेकिन 1 अंक से वे एक बार फिर रह गए और आठवीं बार भी उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई. आठ बार असफलताओं का सामना करने पर बाला कहते हैं कि उनमें आत्मविश्वास की कमी नहीं थी इसलिए वे अपने हर प्रयास के साथ अपनी कमियों पर काम करते हुए उन्हें सुधारते गए और 9 साल की मेहनत के बाद यूपीएससी की सिविल सेवा 2019 की परीक्षा में उन्होंने 659वीं रैंक प्राप्त की ओर इसी के साथ अपने सपने को पूरा कर वे आईएएस अफसर बने.


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