देश की राजधानी दिल्ली में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली दिल्ली पुलिस इस समय भारी स्टाफ की कमी से जूझ रही है. संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस में 10 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं. यह जानकारी गृह मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में दी गई, जिसके बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है.

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राज्यसभा के प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रकाश चिक बड़ाइक ने दिल्ली पुलिस में खाली पदों को लेकर सवाल उठाया. उनके सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 30 नवंबर तक दिल्ली पुलिस की मौजूदा संख्या 92,044 कर्मियों की है, जबकि कुल 9,248 पद अभी खाली पड़े हैं. यह आंकड़ा साफ तौर पर दिखाता है कि राजधानी की पुलिस व्यवस्था में कर्मचारियों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

कैसे खाली होते हैं पद

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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि पुलिस विभाग में पदों का खाली होना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट, प्रमोशन और इस्तीफे की वजह से समय-समय पर पद खाली होते रहते हैं. इसी कारण रिक्तियों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है. मंत्री के अनुसार, इन खाली पदों को भरने की प्रक्रिया भी लगातार चलती रहती है.

उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली पुलिस में जितने भी पद खाली होते हैं, उनकी जानकारी नियमित रूप से भर्ती एजेंसियों को भेजी जाती है. इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत भर्ती की जाती है और चयन पूरा होने के बाद नियुक्तियां दी जाती हैं. सरकार का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जाती है.

खाली पदों को लेकर सवाल बरकरार

हालांकि सरकार ने यह जरूर बताया कि कितने पद खाली हैं, लेकिन मंत्री नित्यानंद राय ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि ये पद कितने समय से खाली हैं और इन्हें कब तक भरा जाएगा. इस पर विपक्षी सांसदों ने चिंता जताई और कहा कि जब तक समयसीमा तय नहीं होगी, तब तक समस्या का समाधान मुश्किल है.

विशेषज्ञों का मानना है कि राजधानी जैसे बड़े शहर में पुलिस बल की कमी का सीधा असर कानून-व्यवस्था पर पड़ सकता है. दिल्ली में रोजाना बड़ी संख्या में अपराध से जुड़े मामले सामने आते हैं, ऐसे में पर्याप्त पुलिस बल होना बेहद जरूरी है.

पहले भी उठ चुका है मामला

दिल्ली पुलिस में स्टाफ की कमी का मुद्दा नया नहीं है. इससे पहले अप्रैल 2024 में संसद में पेश की गई पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) की रिपोर्ट में भी इस समस्या की ओर इशारा किया गया था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को कई प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें 50,000 से ज्यादा नए पदों और अतिरिक्त यूनिट्स की मांग की गई थी.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि दिल्ली की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही सुरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं. ऐसे में मौजूदा पुलिस बल राजधानी की जरूरतों को पूरा करने में दबाव महसूस कर रहा है. यह भी पढ़ें - ट्रेन के TTE को सैलरी ज्यादा मिलती है या स्टेशन के TC को, 8वें वेतन आयोग से किसे ज्यादा फायदा? 


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