नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने के इच्छुक दिव्यांग छात्रों को बड़ी राहत दी है. उसने विश्वविद्यालय से दिव्यांग श्रेणी के लिए पांच फीसद आरक्षण सुनिश्चित करने को कहा है. शुक्रवार को कोर्ट ने आदेश दिया कि सीटें आरक्षित करने के संबंध में विश्वविद्यालय चाहे कोई भी प्रक्रिया अपनाए लेकिन अंतिम दाखिले में पांच प्रतिशत सीटें निर्धारित होनी चाहिए.


जेएनयू में दिव्यांग छात्रों के लिए पांच फीसद आरक्षण


मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने विश्वविद्यालय से कहा, ‘‘दाखिले के अंत में जब आप लोगों की गिनती करें तो पांच प्रतिशत सीटों पर आरक्षण का पालन होना चाहिए. अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो ठीक है.’’ विश्वविद्यालय ने अदालत को आश्वस्त किया कि दाखिला के अंत में दिव्यांग छात्रों के लिए पांच प्रतिशत सीटों को शामिल किया जा रहा है.


दिल्ली हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को दिया आदेश


जेएनयू की तरफ से पेश केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा ने बताया कि दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने की प्रतिबद्धता है. इससे पहले विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया था कि कानून के तहत दिव्यांग छात्रों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहा है.


विश्वविद्यालय ने 13 अक्टूबर को अदालत के सामने माना था कि दाखिले में दिव्यांग व्यक्ति अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) कानून के तहत दिव्यांग छात्रों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने का पालन नहीं हो पाया. जुलाई में जेएनयू ने अदालत को बताया था कि उसने दिव्यांग छात्रों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का कभी उल्लंघन नहीं किया और  2020-21 शैक्षणिक वर्ष के सभी पाठ्यक्रमों में पांच फीसद सीट मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है.


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