सीबीएसई ने नई शिक्षा नीति के अनुरूप बड़ा निर्णय लेते हुए कक्षा 6 से 8 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है. अब स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ किताबें और परीक्षाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बच्चे पौधों की देखभाल, मशीनों की समझ और सेवा कार्यों जैसी वास्तविक जीवन से जुड़ी गतिविधियां भी सीखेंगे. जिसका उद्देश्य है 'करके सीखना’, न कि केवल ‘पढ़कर याद करना’.

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सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे कौशल आधारित शिक्षा को वैकल्पिक नहीं, बल्कि मुख्य विषय के रूप में लागू करें. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत एनसीईआरटी की "कौशल बोध श्रृंखला" की नई किताबें इस सत्र (2025–26) से हर स्कूल में अपनाई जाएंगी. ये पुस्तकें डिजिटल और प्रिंट दोनों रूपों में उपलब्ध रहेंगी.

तीन श्रेणियों में बंटे होंगे कौशल - जीवित प्राणियों, मशीनों और सेवाओं से जुड़े काम

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नए ढांचे के अनुसार, विद्यार्थियों को तीन प्रकार के कौशल कार्यों से जोड़ा जाएगा. जिनमें, जीवित प्राणियों के साथ कार्य-  जैसे, पौधों एवं पालतू जानवरों की देखभाल, मशीनों और सामग्री से जुड़ा काम- जैसे, उपकरणों, साधनों और तकनीक की बुनियादी समझ और मानवीय सेवाएं- जैसे, सामाजिक सहयोग व सेवा-भाव से जुड़े काम, शामिल हैं.

हर साल करने होंगे तीन प्रोजेक्ट, कुल 270 घंटे वास्तविक कार्य का लक्ष्य

छठी से आठवीं तक तीन वर्षों में विद्यार्थियों को नौ प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे. हर साल तीन प्रोजेक्ट में बच्चे लगभग 90 घंटे यानी कुल 270 घंटे व्यावहारिक कार्य करेंगे. उद्देश्य यह है कि वे सिर्फ ‘क्या पढ़ा’ नहीं, बल्कि ‘क्या किया’ और ‘कैसे सीखा’—इस आधार पर आगे बढ़ें.

स्कूलों की दिनचर्या भी बदलेगी, टाइम-टेबल में तय होंगे कौशल शिक्षा के पीरियड

  • स्कूलों को अपने समयसारणी में बड़े बदलाव करने होंगे.
  • हर साल 110 घंटे (लगभग 160 पीरियड) सिर्फ कौशल शिक्षा के लिए निर्धारित होंगे.
  • सप्ताह में दो दिन लगातार दो पीरियड इसी विषय के लिए रखे जाएंगे.
  • किताब में मौजूद छह प्रोजेक्ट में से स्कूल स्थानीय जरूरत और संसाधनों के अनुसार तीन प्रोजेक्ट चुन सकेंगे.

अगले सत्र से लागू होगी नई व्यवस्था

सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि कौशल शिक्षा का यह नया ढांचा इसी सत्र से अनिवार्य रूप से लागू होगा. स्कूलों को आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षित शिक्षक और प्रोजेक्ट आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. कौशल शिक्षा को सफल बनाने के लिए सीबीएसई, एनसीईआरटी और PSSIVE मिलकर व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण अभियान चलाएंगे. प्रशिक्षण के बाद शिक्षक प्रोजेक्ट आधारित अध्ययन, गतिविधि निर्माण और मूल्यांकन की नई पद्धति को अपनाएंगे.

वार्षिक कौशल मेला भी होगा आयोजन

प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में स्कूलों में "कौशल मेला" आयोजित किया जाएगा, जहां विद्यार्थी अपने प्रोजेक्ट, मॉडल और अनुभव प्रदर्शित करेंगे. इससे अभिभावकों को भी यह समझने में मदद मिलेगी कि बच्चे किताबों से बाहर क्या सीख रहे हैं. कौशल शिक्षा की आकलन प्रक्रिया भी बदलेगी. इसमें 10% अंक लिखित परीक्षा. 30% मौखिक परीक्षा, 30% गतिविधि पुस्तक, 10% पोर्टफोलियो और 20% शिक्षक मूल्यांकन के 20 अंक जुड़ेंगे.

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