NEET Admission Update 2020: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. उच्चतम न्यायालय ने अपने इस फैसले में नीट परीक्षा को सही बताते हुए कहा कि देश के सभी मेडिकल कॉलेजों के यूजी (एमबीबीएस और बीडीएस) तथा पीजी (एमडी और एमएस) के पाठ्यक्रमों में प्रवेश नीट परीक्षा के ही आधार पर दिए जायेंगे. इनमें प्राइवेट आर्गेनाईजेशंस तथा अल्पसंख्यक की ओर से संचालित किये जा रहे मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि भावी मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम होने से अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ (न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन तथा न्यायमूर्ति एमआर शाह) ने कहा कि नीट के अंतर्गत आने से  अल्पसंख्यक संस्थानोंके अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि व्यवस्था में मौजूद भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए ही नीट की स्थापना की गयी है जो कि राष्ट्र हित में है. इसके साथ उच्चतम न्यायालय ने काफी कड़े शब्दों में साफ किया कि नीट इस बात को सुनिश्चित करने लिए है कि जिससे प्रबंधन के विशेष अधिकारों की आड़ में कुप्रबंधन न हो और शिक्षा का मानक बना रहे. न्यायालय ने आगे कहा कि नीट का उद्देश्य, शिक्षा को उसी दान के दायरे में लाना है, जो उसका चरित्र खो गया है. साथ ही साथ न्यायालय ने यह भी कहा कि यह कतई नहीं कहा जा सकता कि धार्मिक औए भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक समूहों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारों के साथ नीट ने हस्तक्षेप किया है. क्या था मामला ? असल में अल्पसंख्यक संस्थान इस बात का विरोध कर रहे थे कि बिना सहायता प्राप्त अथवा प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में नीट के द्वारा प्रवेश दिलाने की व्यवस्था को रोका जाय क्योंकि इस प्रकार की व्यवस्था से बिना सहायता प्राप्त प्राइवेट प्रोफेशनल्स संस्थानों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. बस इसी बात को लेकर अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थानों ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी.

Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI