Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिफंड के मिलने का इंतजार कई टैक्सपेयर्स कर रहे हैं. रिफंड समय पर नहीं आने से टैक्सपेयर्स को ब्याज की उम्मीद लगी रहती है. इनकम टैक्स एक्ट में भी देर से मिलने वाले रिफंड पर ब्याज का प्रावधान है, लेकिन ऐसा हर बार हो यह जरूरी नहीं. कई मामलों में देर से रिफंड मिलने के बावजूद टैक्सपेयर्स को एक रुपये का ब्याज नहीं मिलता है. 

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लेट रिफंड पर ब्याज देने का है नियम

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 244A के तहत देरी से मिलने वाले रिफंड पर सालाना 6 परसेंट की दर से ब्याज दिया जाता है. इसका कैलकुलेशन असेसमेंट ईयर की 1 अप्रैल से लेकर रिफंड क्रेडिट होने के दिन तक की जाती है. हालांकि, कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं जिसमें रिफंड में देरी के बावजूद टैक्सपेयर को ब्याज नहीं मिलता है.

हाल के समय में रिफंड प्रोसेसिंग धीमी हुई है, जिसकी कई वजहें हैं जैसे कि बैंक डिटेल्स का गलत होना, आधार और पैन कार्ड का आपस में लिंक न हो, रिटर्न में गलत क्लेम या फर्जी क्लेम या गलत डिडक्शन की जानकारी देना वगैरह. CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल कह चुके हैं कि टैक्स डिपार्टमेंट फर्जी क्लेम और गलत डिडक्शन वाले रिटर्न की बारीकी से जांच कर रहा है. इसके चलते प्रोसेसिंग में वक्त ज्यादा लग रहा है. 

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क्यों नहीं दिया जाता इंटरेस्ट? 

CA (डॉ.) सुरेश सुराना कहते हैं कि सिर्फ रिफंड में देरी होने से ही यह जरूरी नहीं है कि इंटरेस्ट अपने आप क्रेडिट हो जाएगा. वह कहते हैं, बेशक इनकम टैक्स एक्स के सेक्शन 244A में देर से मिलने वाले रिफंड पर इंटरेस्ट का प्रावधान है, लेकिन कई बार देर होने के बावजूद टैक्सपेयर को इंटरेस्ट नहीं मिलता. इसमें खास बात यह है कि क्या प्रोसेसिंग में देरी की वजह खुद टैक्सपेयर ही तो नहीं हैं. डॉ. सुराना कहते हैं, "अगर रिफंड की प्रोसेसिंग या जारी करने में देरी टैक्सपेयर की वजह से होती है, तो कोई इंटरेस्ट नहीं दिया जाता."

ऐसा खासकर तब होता है, जब रिटर्न में आधी-अधूरी जानकारी हो, दिए गए डिटेल्स में गलती हो. इस स्थिति में असेसिंग ऑफिसर अतिरिक्त डिटेल्स मांगता है और जब कोई टैक्सपेयर नोटिस या सवालों का जवाब देर से देता है, तो इस देरी को उनकी खुद की गलती मान ली जाती है और इंटरेस्ट नहीं दिया जाता है.

यह भी है इंटरेस्ट न मिलने की वजह 

जब सेक्शन 140A के तहत सेल्फ-असेसमेंट टैक्स से रिफंड मिलता है, तो इंटरेस्ट के नियम ज्यादा सख्त होते हैं. सुराना बताते हैं, अगर रिफंड की रकम टैक्स के ज्यादा पेमेंट की वजह से है, तो रिफंड नहीं मिलेगा. इसका मतलब है कि अगर किसी टैक्सपेयर ने अपनी मर्जी से ज्यादा टैक्स दिया है और बाद में रिफंड क्लेम कर रहा है, तो उस ज्यादा रकम पर उसे इंटरेस्ट नहीं मिलेगा. इसके अलावा, अगर रिफंड अमाउंट 100 रुपये से कम है, तो उस पर इंटरेस्ट नहीं मिलता. 

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