सिद्धार्थ सिंघल-


मेंटल हेल्थ इंश्योरेंस कराने के बारे में ज्यादातर लोग नहीं सोचते हैं. अक्सर लोग अपनी कार, अपने व्यवसाय, अपने घर और अपने परिवार का इंश्योरेंस कराते हैं, लेकिन इस बात की संभावना बहुत ही कम है कि लोग कभी मेंटल हेल्थ पर विचार भी करते होंगे. 


कोरोना महामारी के बाद से काफी लोगों को मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा है लेकिन अभी भी लोग मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों से अनजान है. एक सही इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना मेटल हेल्थ का इलाज काफी महंगा हो सकता है. खास तौर पर ओपीडी खर्च ज्यादा असर कर सकता है, जिससे आपकी सेविंग भी खत्म हो सकती है. ऐसे में भारतीय ​बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने आदेश दिया है कि मानसिक बीमारियों का इलाज शारीरिक बीमारियों के बराबर किया जाना चाहिए और हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा कवर किया जाना चाहिए. 


कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस


एक कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पॉलिसीधारक को अस्पताल में भर्ती होने के खर्चों को कवर करती है, जो मेंटल हेल्थ से जुड़ा हो सकता है. इसमें मरीज के कमरे का किराया, एम्बुलेंस शुल्क और अस्पताल में भर्ती होने से संबंधित अन्य खर्च शामिल हैं. इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा मेंटल हेल्थ के लिए एंग्जायटी, डिसऑर्डर, एक्यूट डिप्रेशन, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, अटेंशन डेफिसिट या हाइपरएक्टिविटी कंडीशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, ओबेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, साइकोटिक टर्मोइल शामिल है. 


क्यों आवश्यक है ओपीडी कवरेज


गौर करने वाली बात है कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के लिए हमेशा अस्पतला में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन उन्हें इलाज, परामर्श, फोलो-अप्स और रिपीट सेशन की आवश्यकता होती है. इस कारण यह आवश्यक है कि आपके प्लान में ओपीडी कवरेज शामिल हो. मेंटल हेल्थ के इलाज में ​नियमित सेशन की आवश्यकता होती है. ऐसे में नियमित खर्च बड़े खर्च में बदल सकता है, जिस कारण ओपीडी कवरेज आवश्यक है. 


किसे लेना चाहिए ये बीमा? 


मेंटल हेल्थ इंश्योरेंस हर किसी के लिए नहीं है. सामान्य तनाव के स्तर में बढ़ोतरी के कारण ये बीमारियां किसी भी उम्र वर्ग या डेमोग्राफिक तक सीमित नहीं है. यहां तक की स्टूडेंट और युवा भी इसके चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा, एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों की हिस्ट्री रखने वाले या मानसिक स्वास्थ्य विकारों की फैमिली हिस्ट्री रखने वाले व्यक्तियों को भी कवरेज में निवेश करने पर विचार करना चाहिए. न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, सोशियोपेथी, और साइकोपैथी से ग्रसित लोगों को भी मेंटल हेल्थ कवरेज पर विचार करना चाहिए. हालांकि अच्छी खबर यह है कि अब ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां अधिकांश मानसिक रोगों को कवर करने के लिए तैयार हैं. 


किन बातों का रखें ध्यान 


हेल्थ इंश्योरेंस में पहले से मौजूद किसी भी बीमारी के लिए स्टैंडर्ड वेटिंग पीरियड है, जिसके बाद बीमारी को कवर किया जाता है. इसलिए, अगर कोई मेंटल ट्रॉमा समेत किसी भी परेशानी से पीड़ित है, तो उसे पहले ही बीमाकर्ता को इसके बारे में जानकारी दे देनी चाहिए. वेटिंग पीरियड और कवरेज की लिमिट बीमाकर्ता अनुसार अलग-अलग होती है लेकिन किसी भी जानकारी का खुलासा नहीं करने से क्लेम को अस्वीकार किया जा सकता है. अगर कोई व्यक्ति भविष्य में यह कवरेज प्राप्त करने की योजना बना रहा है तो उसे जल्द से जल्द खरीदने की सलाह दी जाती है.


किसी के भी मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज करना एक बहुत खतरनाक हो सकता है, जिसके काफी गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसलिए, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर ऑनलाइन उपलब्ध कई विकल्पों की तुलना करें और अपने लिए एक अच्छी इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं. 


(लेखक पॉलिसीबाजार डॉट कॉम में बिजनेस हेड - हेल्थ इंश्योरेंस हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)


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