Wilful Defaulter in India: हम सभी को बैंक से लोन लेने के लिए तमाम पापड़ बेलने पड़ते हैं. इसके बाद यदि आपकी एक किस्त भी चूक जाए तो बैंक आपका जीना हराम कर देते हैं. आपका क्रेडिट स्कोर खराब करके आगे के लिए मुसीबतें खड़ी कर देते हैं. मगर, इस देश में ऐसे 2623 ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने विभिन्न बैंकों का 1.96 लाख करोड़ रुपये हजम कर लिया है और डकार भी नहीं ली. इन विलफुल डिफॉल्टर (Wilful Defaulter) से पैसा निकालने में बैंक अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं.

  


इनके पास 5 करोड़ या उससे ज्यादा फंसे हैं


केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2023 तक देश में 2623 विलफुल डिफॉल्टर हैं. ये वो लोग हैं, जिनके पास 5 करोड़ या उससे ज्यादा रुपये फंसे हैं. इनके पास बैंकों का 1,96,049 करोड़ रुपये फंसा हुआ है. ये जानबूझकर उस पैसे को वापस नहीं कर रहे हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद बैंक इनसे पैसा निकलने में सफल नहीं हो पाए हैं.


बट्टे खाते में गए कुल पैसों का आधा बड़ी कंपनियां हजम कर गईं 


वित्तराज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों ने जितने भी लोन बट्टे खाते में डाले, उनमें से आधे से ज्यादा बड़ी कंपनियों एवं सर्विसेज के थे. पिछले वित्त वर्ष में कुल 2.09 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ (राइट ऑफ) किए गए. इनमें से 1.09 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बड़ी कंपनियों के थे. यह आंकड़ा 52.3 फीसदी होता है.  


4 साल में 10.57 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ


कराड ने बताया कि बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच चार साल में 10.57 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए. इनमें से बड़े कारोबारियों का हिस्सा 5.55 लाख करोड़ रुपये था. यह बट्टे खाते में डाले गए कुल कर्ज का 52.5 फीसद हिस्सा है. 


बैंकों ने 5,309.80 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला


पिछले फाइनेंशियल इयर में बैंकों ने 5,309.80 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है. वित्त राज्यमंत्री कराड ने बताया कि इसमें लोन भुगतान में देरी का जुर्माना भी शामिल है. सेंट्रल रिपोजिटरी ऑफ इनफॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (CRILC) के अनुसार, इस साल 31 मार्च तक 2,623 लोग विलफुल डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके हैं.


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