Rupee vs Dollar:  भारतीय रुपये में हाल के दिनों में जबरदस्त गिरावट आई और यह ऐतिहासिक निचले स्तर तक चला गया. एक दिन पहले यानी गुरुवार को भी अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी करेंसी की तुलना में 35 पैसे टूटकर 88.20 के स्तर पर चला गया. रुपये में पिछले चार दिनों की तेजी के बाद यह बड़ी गिरावट थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर भारतीय करेंसी में क्यों इस तरह से गिरावट आ रही है और इसको लेकर क्या कुछ बाजार के जानकार कह रहे हैं ताकि इसकी कमजोरी को सीमित किया जा सके.

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रुपये में क्यों कमजोरी?

दरअसल भारतीय रुपये में आ रही लगातार कमजोरी की वजह बाजार के जानकार अमेरिकी टैरिफ संबंधी चिंताएं और विदेश पूंजी की निकासी से घरेलू मुद्रा पर पड़ रहे भारी दबाव को मान रहे हैं. HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार की मानें तो रुपये की चार दिन की तेजी में एक रुकावट आई जो क्षेत्रीय मुद्राओं में कमजोरी को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी केन्द्रीय बैंक यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद अमेरिकी डॉलर में तेज़ी से उछाल आया. खासकर जब संकेत मिला है कि वर्ष 2025 के अंत तक दो और कटौतियां प्रस्तावित हैं. बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी 24 पैसे बढ़कर 87.85 पर पहुंच गई थी.

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कब रुकेगी रुपये की गिरावट?

रुपये में लगातार आ रही कमजोरी को लेकर मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट (जिंस और मुद्रा) अनुज चौधरी की मानें तो उनका कहना है कि यूएस फेड के आक्रामक रुख और डॉलर में आई मजबूती के चलते भारतीय करेंसी में भारी गिरावट आई. उन्होंने आगे बताया कि अमेरिकी केन्द्रीय बैंक ने अनुमान के मुताबिक ही ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कमी की है. साथ ही इस साल के आखिर तक यानी फेडरल रिजर्व को वर्ष 2025 में दो बार और 0.25 प्रतिशत कटौती तथा 2026 में केवल एक बार 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है.

हालांकि भारतीय रुपये में गिरावट पर एक तरह जहां भारतीय रिजर्व बैंक की कड़ी नजर है और उसके प्रयासों ने इसकी गिरावट को सीमित किया है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी कमजोरी ने जरूर सरकार को भी चिंता में ला दिया है.

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