Credit Score: बैंक से लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर का होना बहुत जरूरी है, बिना इसके लोन मिलने में आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वैसे तो लोन आपको सिबिल स्कोर के बिना भी मिल सकता है. इसमें बैंक आपके बैकग्राउंड और पेमेंट हिस्ट्री को चेक करता है. हालांकि, अगर सिबिल स्कोर बढ़िया हो, तो लोन मिलने में बड़ी आसानी रहती है.
क्या होता है सिबिल स्कोर?
सिबिल स्कोर को क्रेडिट स्कोर भी कहा जाता है. यह 300-900 के बीच 3 डिजिट का एक नंबर होता है, जो यह बताता है कि क्या आपने कभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है या आपने कभी लोन लिया है. अगर हां, तो आपके कितनी जिम्मेदारी से लोन का पैसा लौटाया है या EMI या भुगतान किया है.
आमतौर पर 300 को सबसे खराब स्कोर और 900 को सबसे अच्छा माना जाता है. स्कोर बढ़िया हो, तो लोन फटाफट मंजूर कर लिया जाता है, वह भी अच्छे इंटरेस्ट रेट पर. लेकिन कई बार सिबिल स्कोर अच्छा हो भी तो लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दिया जाता है. मान लीजिए कि अगर आपका सिबिल स्कोर 750 है, तो इसे अच्छा माना जाएगा. लेकिन कई बार 750 सिबिल स्कोर होने पर भी लोन रिजेक्ट हो जाता है. क्या आपको पता है कि इसकी क्या वजह है?
डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो
आपका डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो इसके पीछे एक बड़ा फैक्टर है. बैंक चाहता है कि आपके मंथली इनकम का 40 परसेंट से कम ही ईएमआई पर खर्च हो. फाइनेंशियल एडवाइजर रितेश सभरवाल बताते हैं कि अगर 1 लाख रुपये सैलरी हो और 45000 ईएमआई में चला जाता है, तो आपका DTI 45 परसेंट बैठेगा. ऐसे में अगर आपका CIBIL स्कोर 750 है, तो भी बैंक आपको लोन देने से मना कर देगा क्योंकि बैंक आपको जरूरत से ज्यादा कर्जदार मान लेगा. DTI ज्यादा होने का मतलब है आपको लोन चुकाने में मुश्किलें आ सकती हैं, जिससे बैंक सतर्क हो जाता है.
एक से ज्यादा बार लोन के लिए अप्लाई करना
कम समय में कई बार क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए अप्लाई करना भी मामला बिगाड़ देता है. अगर आपने तीन महीने में तीन से भी ज्यादा बार लोन लेने के लिए रिक्वेस्ट डाला है, तो बैंक इसे नेगेटिव नजरिए से देखता है. बैंक को आपके आर्थिक दबाव में होने के संकेत मिलते हैं और वित्तीय जोखिम का खतरा नजर आता है. कई दफा बार-बार नौकरी बदलने वालों को भी लोन मिलने में दिक्कत आती है.
कैसे करें सुधार?
सभरवाल कहते हैं कि आप डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो को 40 परसेंट से कम रखकर, लंबे समय तक एक ही नौकरी में बने रहने का रिकॉर्ड बनाकर, अपनी क्रेडिट लिमिट का 30 परसेंट का इस्तेमाल कर, समय-समय पर लगातार लोन पेमेंट कर और बार-बार लोन के लिए अप्लाई न कर आप लोन मिलने की अपनी संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.
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