क्रेडिट स्कोर के बारे में आप निश्चित ही जानते होंगे. आप घर खरीदने के लिए लोन ले रहे हों या कार खरीदने के लिए या फिर किसी सिचुएशन में फंसने पर पर्सनल लोन ले रहे हों, यहां तक कि क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करने पर भी क्रेडिट स्कोर की जरूरत पड़ती है. आज हम आपको बताने वाले हैं कि क्रेडिट स्कोर कितने प्रकार के होते हैं और सब स्कोर अलग-अलग क्यों होते हैं...


क्या होता है क्रेडिट स्कोर...


सबसे पहले क्रेडिट स्कोर क्या है, ये जान लेते हैं. क्रेडिट स्कोर संबंधित व्यक्ति की वित्तीय साख के बारे में बताता है. सरल शब्दों में कहें तो आप कितना कर्ज लेते हैं, आप किस तरह से कर्ज वापस चुकाते हैं, कहीं आप कर्ज चुकाने में देरी तो नहीं करते हैं, आपके ऊपर देनदारी बहुत ज्यादा तो नहीं है, कर्ज लेना आपकी आदत तो नहीं है... इस तरह की कई बाते हैं, जो क्रेडिट स्कोर से पता चलती हैं. बैंक आपको कोई भी कर्ज देने से पहले सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहते हें कि उनके पैसे डूबेंगे नहीं और उन्हें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है क्रेडिट स्कोर से.


भारत में अभी ये 4 क्रेडिट स्कोर


भारत में आम तौर पर क्रेडिट स्कोर के नाम पर लोग सिबिल स्कोर से परिचित होते हैं. यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला क्रेडिट स्कोर हो सकता है, लेकिन अकेला क्रेडिट स्कोर नहीं है. भारत में अभी 4 क्रेडिट ब्यूरो हैं, जो क्रेडिट स्कोर बताते हैं. वे हैं ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL), एक्सपेरियन (Experian), इक्विफैक्स (Equifax) और सीआरआईएफ हाई मार्क (CRIF High Mark). ये चारों ब्यूरो विभिन्न मानकों पर तौर कर आपको क्रेडिट स्कोर देते हैं, जो घटते और बढ़ते रहता है.


इन फैक्टर्स का होता है असर


क्रेडिट स्कोर अमूमन 300 से 900 अंक के दायरे में रहता है. यह कई फैक्टर पर निर्भर करता है. अगर आपने हाल-फिलहाल में किसी प्रकार का कर्ज या क्रेडिट कार्ड लिया है अथवा उनके लिए बैंकों से इन्क्वायरी की है, तो क्रेडिट स्कोर पर बड़ा असर दिख सकता है. उसी तरह अगर आपने किसी लोन की किस्त अथवा क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट मिस कर दिया है, तो भी क्रेडिट स्कोर पर बड़ा असर पड़ सकता है. इनके अलावा आपका क्रेडिट मिक्स कैसा है, क्रेडिट यूटिलाइजेशन कैसा है और क्रेडिट एज कितनी है... ये सब फैक्टर भी स्कोर को प्रभावित करता है.


क्रेडिट स्कोर की विभिन्न श्रेणियां


अगर आपका क्रेडिट स्कोर 650 से 750 के बीच है तो इसे अच्छा माना जाता है. इस क्रेडिट स्कोर पर आपको आसानी से लोन और क्रेडिट कार्ड मिल जाते हैं. 750 से ऊपर के स्कोर को शानदार माना जाता है. 550 से 650 के बीच का क्रेडिट स्कोर एवरेज माना जाता है, जबकि 550 से नीचे के स्कोर को खराब माना जाता है. क्रेडिट स्कोर खराब होने के कई नुकसान होते हैं. आपका स्कोर खराब हुआ तो बैंक आपको लोन देने या क्रेडिट कार्ड इश्यू करने से मना कर सकते हैं. वहीं अगर क्रेडिट स्कोर अच्छा हुआ तो बैंक आपको सस्ती ब्याज दर पर भी लोन ऑफर कर सकते हैं.


इन कारणों से अलग होते हैं स्कोर


अब बात आती है कि अलग-अलग क्रेडिट ब्यूरो के स्कोर एक ही समय पर अलग-अलग क्यों होते हैं. मसलन आपका सिबिल स्कोर हो सकता है 700 के पार हो और सीआरआईएफ 500 से भी कम. इसके कई कारण हैं. बैंक व वित्तीय संस्थान अलग-अलग ब्यूरो को अलग-अलग समय पर क्रेडिट रिपोर्ट करते हैं, जिसके कारण स्कोर को अपडेट होने का समय एक जैसा नहीं रहता है. सभी ब्यूरो के स्टैंडर्ड अलग होते हैं, इस कारण एक ही फैक्टर के अलग असर हो सकते हैं. कुछ ब्यूरो हर महीने स्कोर को अपडेट करते हैं, कुछ तीन महीने का समय लगाते हैं. इस कारण भी स्कोर एक समान नहीं रहता है.


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